PATNA : बिहार सरकार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि श्रीरामचरितमानस पर शिक्षा मंत्री की दुराग्रही टिप्पणी और उस पर नीतीश कुमार की मौन सहमति से साफ है कि राज्य सरकार घोर हिंदू-विरोधी है। मोदी ने कहा कि महागठबंधन सरकार जिस तरह से सिर्फ सम्प्रदाय-विशेष की भावनाओं और सुविधाओं का ख्याल रखते हुए काम कर रही है, वह संविधान के विरुद्ध है। नीतीश सरकार को बहुसंखयक हिंदू समाज की भावनाओं से कोई मतलब नहीं है।
उन्होंने कहा कि एक लोकप्रिय हिंदू धर्मग्रंथ के विरुद्ध जो अनर्गल टिप्पणी की गई, वह संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति ने दीक्षांत समारोह जैसे सरकारी कार्यक्रम में की गई है। इसे राज्य सरकार की राय माना जाएगा, किसी का व्यक्तिगत विचार नहीं।
मोदी ने कहा कि अब नीतीश कुमार को तीन सवालों का जवाब देना है। पहला- वे अपने शिक्षा-मंत्री के बयान के पक्ष में खड़े हैं या इसके विरुद्ध हैं? दूसरा- क्या मुख्यमंत्री स्वयं हिंदू-विरोधी और मानस विरोधी हैं? तीसरा-क्या वे शिक्षा मंत्री को हटायेंगे या उन्हें सिर्फ माफी मांगने के लिए कहेंगे?
उन्होंने कहा कि पूरे प्रकरण में जदयू के नेता अपनी साझा सरकार के शिक्षा मंत्री के विरुद्ध नपे-तुले बयान देकर या मंदिर में मानस-पाठ कर केवल राजमीतिक दिखावा कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि मां सीता की जन्मभूमि पर राज करने वाले लव-कुश समाज के मुख्यमंत्री अब राम-भक्तों के साथ हैं या श्रीराम और रामायण के निंदकों के साथ ? इस यक्ष-प्रश्न का उत्तर नीतीश कुमार को ही देना है।