पटना... बिहार विधानसभा चुनाव के अप्रत्याशित परिणाम के रूप में भाजपा सबसे बड़ा उदाहरण बनकर सामने आया है। एनडीए में भाजपा इस बार बड़े भाई के रूप में खुद को स्थापित कर चुका है। अब दो कदम आगे बढ़ाते हुए रविवार को हुए बैठक बाद ये साफ हो चुका है कि आगे नए तरीके से काम होगा, नए लोगों को मौका मिलेगा। पिछले चुनावों में अमूमन देखा गया क जीतने के बाद सीएम और डिप्टी सीएम का चेहरा राज्यपाल को समर्थन पत्र सौंपने से पहले ही साफ कर दिया जाता था, लेकिन शायद ये पहला मौका है, कि इस बार बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद सीएम तो वही चुना, लेकिन डिप्टी सीएम के लिए चेहरा शपथ से 24 घंटे पहले तक तय नहीं कर पाया।
चेहरा बदलकर भाजपा दे रही संदेश
भाजपा 2024 की लोकसभा और 2025 की विधानसभा को ध्यान में रखकर आगे की राजनीति करना चाहती है। सुशील मोदी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफी करीबी भी माने जाते हैं। पार्टी अब तक छोटे भाई की भूमिका में रही है। इस बार चुनाव के नीतजों में तस्वीर तो बदली, लेकिन व्यवहारिक रूप में यह अभी भी सिद्ध नहीं हो पाया है। नीतीश कुमार के रहते हालाकि ये तय नहीं था, लिहाजा ये बदलाव जरूरी था, जिससे की पार्टी के कार्यकर्ताओं को संदेश मिल सके।
केंद्र में जा सकते हैं मोदी
बिहार में 13 वर्षों तक उपमुख्यमंत्री रहे सुशील मोदी को केंद्र में नई जिम्मेदारी मिल सकती है। उन्हें राज्यसभा के रास्ते केंद्र में लाने की तैयारी है। आने वाले दिनों में रामविलास पासवान के सीट पर होने वाले उपचुनाव में भी उतार सकती है।