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CM नीतीश अब BJP नेताओं को 'हांक' न पायेंगे! 'अब एकतरफा नहीं चलेगा' BJP अध्यक्ष ने सहयोगी दल को साफ-साफ बता दिया,अब क्या करेगी जेडीयू?

CM नीतीश अब BJP नेताओं को 'हांक' न पायेंगे! 'अब एकतरफा नहीं चलेगा' BJP अध्यक्ष ने सहयोगी दल को साफ-साफ बता दिया,अब क्या करेगी जेडीयू?

PATNA:  बिहार एनडीए में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। 2020 विस चुनाव के बाद बीजेपी-जेडीयू के भीतर जो गुबार था वो अब फूट गया है। पिछली बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा 74 सीटों पर जीत दर्ज कर एनडीए की सबसे बड़ी पार्टी बन गई। जेडीयू को महज 43 सीटों से संतोष करना पड़ा था। बाद में एक निर्दलीय व एक बसपा विधायकों को पाले में कर नीतीश कुमार की पार्टी के पास 45 विधायक हुए। 74 विधायकों वाली पार्टी भाजपा को अब हर बात पर झुंकाना सीएम नीतीश व उनकी पार्टी जेडीयू के लिए मुश्किल हो रहा है। जेडीयू नेतृत्व ने एक साहित्यकार द्वारा सम्राट अशोक की तुलना औरंगजेब से करने पर सीधे बीजेपी नेतृत्व व पीएम मोदी को निशाने पर ले लिया। बस क्या था बीजेपी नेतृत्व का गुस्सा फुट पड़ा। 

अशोक-औरंगजेब प्रकरण से शुरू हुआ विवाद

सम्राट अशोक-औरंगजेब प्रकरण को लेकर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह एवं संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा लगातार बीजेपी नेतृत्व पर निशाना साधने लगे। जेडीयू ने कहा कि साहित्यकार दया प्रकाश सिन्हा बीजेपी के नेता हैं। अशोक को औरंगजेब से तुलना कर लेखक ने देश के साथ खिलवाड़ किया है। वैसे में पार्टी उन्हें दल से निकाले। साथ ही जेडीयू नेताओं ने पीएम मोदी से मांग कर दी कि इनसे पद्म पुरस्कार वापस ली जाए। जेडीयू की तरफ से पुरस्कार वापस लेने को लेकर अभियान छेड़ दिया गया। बस क्या था...बीजेपी नेतृत्व ने नीतीश सरकार की पोल खोलना शुरू कर दिया। सबसे पहले अध्यक्ष संजय जायसवाल ने पटना के कोतवाली थाने में लेखक दया प्रकाश सिन्हा के खिलाफ केस दर्ज कराकर जेडीयू को बैकफुट पर ला दिया। बीजेपी नेताओं की तरफ से कहा गया कि हमने साहित्यकार पर केस दर्ज करा दिया अब नीतीश सरकार उन पर एक्शन ले।

शराबबंदी की पोल खोल बीजेपी अध्यक्ष ने दी खुली चुनौती 

बीजेपी की तरफ से अध्यक्ष संजय जायसवाल ने मोर्चा खोल दिया। रविवार को संजय जायसवाल ने शराबबंदी कानून की पोल खोल कर नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। बीजेपी ने साफ कहा कि सुशासन राज के बड़े अफसर शराब माफियाओं से मिले हुए हैं। नालंदा में चौदह लोगों की जहरीली शराब से मौत मामले में जिले के बड़े अफसर की गिरफ्तारी होनी चाहिए। बीजेपी की तरफ से लगातार हमले के बाद जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने फिर से बिहार बीजेपी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष संजय जायसवाल क्या बोलते हैं वहीं समझें। हमारे नेता नीतीश कुमार सीधे दिल्ली में बैठे बीजेपी नेतृत्व से गठबंध को लेकर बातचीत करते हैं। उसमें बिहार बीजेपी नेताओं की कोई भूमिका नहीं होती। यह कहकर उपेन्द्र कुशवाहा ने बिहार बीजेपी अध्यक्ष को चिढ़ा दिय़ा।

अब एकतरफा नहीं चलेगा-जायसवाल

फिर क्या था...सोमवार को संजय जायसवाल ने बिना नाम लिये जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह व उपेन्द्र कुशवाहा को खूब खरी-खोटी सुनाई। साथ ही चेतावनी भी दिया कि जवाब देना हमारा एक-एक कार्यकर्ता जानता है। एनडीए गठबंधन को मजबूत रखने की जिम्मेदारी सिर्फ हमारी नहीं। अब एकतरफा नहीं चलेगा। संजय जायसवाल का यह बयान बहुत कुछ कह रहा है। अब तक जेडीयू व सीएम नीतीश कुमार के आगे बीजेपी नेताओं की एक नहीं चलती थी। बिहार बीजेपी के नेता बेबस बने रहते थे। लेकिन संजय जायसवाल की यह तल्खी बहुत कुछ बयां कर रही है। 


एकतरफा अब नहीं चलेगा-BJP

बीजेपी अध्यक्ष ने उपेन्द्र कुशवाहा पर हमला बोलते हुए कहा कि चलिए माननीय जी को यह समझ आ गया कि एनडीए गठबंधन का निर्णय केंद्र द्वारा है और बिल्कुल मजबूत है, इसलिए हम सभी को साथ चलना है। फिर बार-बार महोदय मुझे और केंद्रीय नेतृत्व को टैग कर न जाने क्यों प्रश्न करते हैं? एनडीए गठबंधन को मजबूत रखने के लिए हम सभी को मर्यादाओं का ख्याल रखना चाहिए। यह एकतरफा अब नहीं चलेगा।

एक-एक कार्यकर्ता जवाब देना जानता है-बीजेपी

 संजय जायसवाल ने कहा कि इस मर्यादा की पहली शर्त है कि देश के प्रधानमंत्री से ट्विटर-ट्विटर ना खेलें । प्रधानमंत्री प्रत्येक भाजपा कार्यकर्ता के गौरव भी हैं और अभिमान भी। उनसे अगर कोई बात कहनी हो तो जैसा माननीय ने लिखा है कि बिल्कुल सीधी बातचीत होनी चाहिए। टि्वटर टि्वटर खेलकर अगर उनपर सवाल करेंगे तो बिहार के 76 लाख भाजपा कार्यकर्ता इसका जवाब देना अच्छे से जानते हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि भविष्य में हम सब इसका ध्यान रखेंगे ।

ललन सिंह को भी लपेटा

बिहार बीजेपी अध्यक्ष ने आगे कहा कि आप सब बड़े नेता है । एक बिहार मे एवं दूसरे केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। फिर इस तरह की बात कहना कि राष्ट्रपति जी द्वारा दिए गए पुरस्कार को प्रधानमंत्री वापस लें ,से ज्यादा बकवास हो ही नहीं सकता। दया प्रकाश सिन्हा के हम आप से सौ गुना ज्यादा बड़े विरोधी हैं क्योंकि आपके लिए यह मुद्दा बिहार में शैक्षिक सुधार जैसा मुद्दा है . जबकि जनसंघ और भाजपा का जन्म ही सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर हुआ है। हम अपनी संस्कृति और भारतीय राजाओं के स्वर्णिम इतिहास में कोई छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं कर सकते। पर हम यह भी चाहते हैं कि बख्तियार खिलजी से लेकर औरंगजेब तक के अत्याचारों की सही गाथा आने वाली पीढ़ियों को बताई जाए ।74 वर्ष में एक घटना नहीं हुई जब किसी पद्मश्री पुरस्कार की वापसी हुई हो। पहलवान सुशील कुमार पर हत्या के आरोप सिद्ध हो चुके हैं उसके बावजूद भी राष्ट्रपति ने उनका पदक वापस नहीं लिया . क्योंकि पुरस्कार वापसी मसले पर कोई निश्चित मापदंड नहीं है। जबकि चाहे वह हरिद्वार में घटित धर्म संसद हो या सैकड़ों हेट स्पीच ,सरकार न केवल इन पर संज्ञान लेती है बल्कि बड़े से बड़े व्यक्ति को भी जेल में डालने से नहीं हिचकती ।

बिहार सरकार लेखक दया प्रसाद को गिरफ्तार करे 

अध्यक्ष ने कहा कि सबसे पहले बिहार सरकार दया प्रकाश सिन्हा जी को मेरे f.i.r. के आलोक में गिरफ्तार करे और फास्ट ट्रैक कोर्ट से तुरंत सजा दिलवाये । उसके बाद बिहार सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति के पास जाकर हम सबों की बात रक्खे  कि एक सजायाफ्ता मुजरिम का पद्मश्री पुरस्कार वापस लिया जाए ।बिहार सरकार अच्छे वातावरण में शांति से चले यह सिर्फ हमारी जिम्मेवारी नहीं बल्कि आप की भी है। अगर कोई समस्या है तो हम सब मिल बैठकर उसका समाधान निकालें। हमारे केंद्रीय नेताओं से कुछ चाहते हैं तो उनसे भी सीधे बात होनी चाहिए।

हम हरगिज नहीं चाहते हैं कि पुनः मुख्यमंत्री आवास 2005 से पहले की तरह हत्या कराने और अपहरण की राशि वसूलने का अड्डा हो जाए। अभी भेड़िया स्वर्ण मृग की भांति नकली हिरण की खाल पहनकर अठखेलियां कर जनता को आकृष्ट कर रहा है। एक पूरी पीढ़ी जो 2005 के बाद मतदाता बनी है वह उन स्थितियों को नहीं जानती और बिना समझे कि यह रावण का षड्यंत्र है स्वर्ण मृग पर आकर्षित हो रही है । यथार्थ बताना हम सभी का दायित्व भी है और कर्तव्य भी।


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