दिल्ली. राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की ओर से संयुक्त उम्मीदवार उतारने की पहल के तहत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार के देश के विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है. लेकिन, ऐसा लगता है कि विपक्षी एकता बनने से पहले ही टूट गई है. दरअसल, ममता बनर्जी की ओर से आयोजित बैठक में देश के 16 विपक्षी दलों के शामिल होने के अनुमान था. सूत्रों के अनुसार, बैठक के ठीक पहले अब कहा जा रहा है कि तेलंगाना में सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति यानी टीआरएस और दिल्ली-पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) आज की बैठक में शामिल नहीं होंगे. दोनों दल अगर नहीं आते हैं तो यह विपक्षी को बड़ा झटका है. वहीं इससे भाजपा की बल्ले बल्ले हो जाएगी.
ममता बनर्जी ने विपक्ष के नेताओं को एक चिट्ठी भी लिखी थी. यह चिट्ठी 22 नेताओं और मुख्यमंत्रियों को लिखी गई थी. बाद में कहा गया कि 16 विपक्षी दल बैठक में शामिल हो रहे हैं. वहीं अब स्थिति बन रही है कि दो और बड़े राजनितिक दल ममता की बैठक से दूर हो रहे हैं. राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, जयराम रमेश और रणदीप सुरजेवाला इस बैठक में पार्टी की ओर से शामिल हो सकते हैं.
दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा नीत एनडीए को जीत के लिए आवश्यकता बहुमत से 20 हजार से कम वोट है. वहीं विपक्ष अगर एकजुट होता है तो वह अपने उम्मीदवार को जिता सकता है. लेकिन यह होना इसलिए भी मुश्किल लग रहा है क्योंकि कई ऐसे दल हैं जो अब तक सीधे तौर पर विपक्ष के साथ नहीं दिख रहे हैं.
भाजपा और उसके सहयोगियों के पास 48 प्रतिशत वोट (10.86 लाख वोटों में 5.26 लाख) हैं और उन्हें बीजद (जिसके पास 31,000 से अधिक वोट हैं), वाईएसआरसीपी (43,000 से अधिक वोट होने का अनुमान है) और एआईएडीएमके (15,000 के करीब वोट) जैसी पार्टियों की आवश्यकता होगी. इन दलों ने स्पष्ट रूप से पहले से ही भाजपा समर्थित उम्मीदवार के लिए अपना वोट देने का वादा किया है. बीजेपी के नेताओं का कहना है कि हमारे उम्मीदवार के चुनाव हारने का कोई सवाल ही नहीं है. भाजपा ने 2017 में अपने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के लिए 7,02,044 वोट हासिल किए। लेकिन वर्तमान में एनडीए के पास कुल 5.26 लाख हैं.