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पटना के मेयर चुनाव पर भाजपा की नजर... अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के बहाने मतदाताओं को गोलबंद करने में जुटी BJP

पटना के मेयर चुनाव पर भाजपा की नजर... अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के बहाने मतदाताओं को गोलबंद करने में जुटी BJP

पटना. मतदाताओं को गोलबंद करने के लिए राजनीतिक दल क्या क्या नहीं करते हैं. ऐसे में पटना में हो रहे मेयर चुनाव में भले ही राजनीतिक दलों की सीधी सहभागिता ना हो लेकिन, सभी राजनीतिक दलों की निगाह पटना नगर निगम के चुनाव पर है. इसी को लेकर भाजपा ने एक बड़ी पहल की है. सूत्रों के अनुसार पटना में अगले दो दिनों के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती को लेकर दो कार्यक्रम हो रहे हैं. माना जा रहा है कि दोनों कार्यक्रमों के बहाने पटना के मतदाताओं को कथित भाजपा समर्थित मेयर उम्मीदवार के लिए गोलबंद किया जाएगा.

दरअसल, महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम कर रहे एसीएफएल माइक्रो फाइनेंस द्वारा 25 दिसम्बर को पटना के बापू सभागार में एक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. इसमें कहा गया है कि भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती और 2 लाख महिलाओं को सशक्त बनाने के उपलक्ष्य में महिला सशक्तिकरण समारोह आयोजित है. इसमें बड़े स्तर पर पटना के मतदाता और विशेषकर महिलाएं शामिल होंगी. माना जा रहा है कि इस कार्यक्रम में भाजपा के कई नेता शामिल होंगे. सूत्रों के अनुसार इसका परोक्ष उद्देश्य मेयर चुनाव के लिए लोगों को भाजपा का संदेश देना है. एक जगह बड़ी संख्या में मतदाताओं के होने से सबसे मिलने-जुलने का भी बड़ा मौका भाजपा नेताओं को मिलेगा और वे अपना संदेश भी दे सकते हैं. 

इतना ही नहीं, 26 दिसम्बर को पूर्व सांसद एवं नीरज स्मृति न्यास के अध्यक्ष आरके सिन्हा की ओर से अटल काव्यांजलि का आयोजन किया जा रहा है. कार्यक्रम 26 दिसंबर को शाम 4 से 7 बजे तक पटना के रविन्द्र भवन में होगा. इस कार्यक्रम को लेकर भी भाजपा के पटना से जुड़े अधिकांश संगठन नेताओं को आमंत्रित किया गया है. साथ ही यहां भी बड़ी संख्या में पटना से जुड़े मतदाता होंगे. सूत्रों के अनुसार इन दोनों कार्यक्रमों के बहाने पटना के बड़े मतदाता वर्ग तक पहुंचने की कोशिश होगी. यानी परोक्ष रूप से भाजपा अब मेयर चुनाव में कुछ विशेष करने की योजना बना रही है. 

पटना में 28 दिसम्बर को चुनाव है. इस बार पहला मौका है जब मेयर, उप मेयर और पार्षदों का चयन सीधे जनता के वोट से हो रहा है. इसलिए राजनीतिक पार्टियों की कोशिश है कि वे अपने विचारधारा वाले प्रत्याशी को जीत दिलाकर पटना नगर निगम पर परोक्ष रूप से कब्जा करें. ऐसे में इन दोनों कार्यक्रमों की चर्चा भी खूब है कि आखिर चुनाव प्रचार के अंतिम समय में हो रही यह गोलबंदी कितना लाभप्रद होगा.


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