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थम नहीं रही रही है भाजपा की अंदरुनी लड़ाई : पूर्व विधायक ने ज्ञानू को बताया भाषाई दरिद्र

थम नहीं रही रही है भाजपा की अंदरुनी लड़ाई : पूर्व विधायक ने ज्ञानू को बताया भाषाई दरिद्र

PATNA : शीतकालीन सत्र के दौरान जिस तरह से जीवेश मिश्रा ने हंगामा किया था, उसके बाद बिहार भाजपा में छिड़ी संस्कारों की लड़ाई कम होती नजर नहीं आ रही है। कुछ दिन पहले ही भाजपा के विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने बिहार भाजपा को नेतृत्वहीन बताया था। जिसके बाद से ही तमाम भाजपा नेताओं के निशाने पर आ गए थे। अब भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व विधायक मनोज शर्मा ने भी ज्ञानू के ज्ञान को लेकर निशाना साधा है। 

भाजपा प्रवक्ता ने भाषाई रूप से दरिद्र बताया है। उन्होंने कहा है कि दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सिद्धांतों पर चलने वाली भारतीय जनता पार्टी का हर एक कार्यकर्ता अनुशासन और एकता में विश्वास रखते हैं। भाजपा एक सिद्धांतों वाली पार्टी है और ऐसे में यदि कोई नेता भाजपा के नीति, सिद्धांत, अनुशासन से विपरीत आचरण करता है। तो, उसे माना जाता है उसने अभी तक पार्टी को आत्मसाथ नहीं किया है।

बड़बोले हो गए हैं ज्ञानू

जिस तरह से विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू अपने पर  बड़बोलेपन का परिचय दे रहे हैं उससे साफ हो गया है उनको सैद्धांतिक बातें पचती नहीं है। भाजपा ने उन्हें अपने यहां शरण क्या दिया, वह भाजपा की समीक्षा करने लगे। जबकि इसकी को जरूरत नहीं है कि वह भाजपा के किसी कार्यकर्ता की समीक्षा कर सकें।

किसी से नहीं है तालमेल, करना चाहिए आत्मचिंतन

ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू को दूसरों की समीक्षा छोड़कर आत्ममंथन और चिंतन करना चाहिए। उन्हें इस बात का चिंतन करना चाहिए कि उनमें क्या कमी रह गई कि उनको इस लायक नहीं समझा गया कि वह मंत्रिपरिषद के सदस्य बन सके। उनको इस बात का मंथन करना  चाहिए कि उनका किसी के साथ कोई को कॉर्डिनेशन क्यों नही बन पाता है। 

ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू के चरित्र में भाषाई दरिद्रता दिखती है। उनके आचरण में अव्यावहारिकता दिखती है। इस संदर्भ में उनका पूरा व्यक्तित्व खोखला नजर आता है।

पहले शालीन बनें, फिर बात करें

ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू को अपनी शालीन व्यक्तित्व का परिचय देना चाहिए। उन्हें पार्टी के हर एक कार्यकर्ता और नेता का सम्मान करना चाहिए। वह एक सम्मानित सदन के सदस्य हैं। इस बात का अक्सर उन्हें ख्याल रखना चाहिए। जिस तरह से उन्होंने अपना व्यवहार दिखाया है, उससे उनके प्रति लोगों का सम्मान कम होता है।

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