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छपरा में दिन के उजाले में होता है सफ़ेद बालू का काला कारोबार, माफिया पर नकेल कसने में विफल है पुलिस

छपरा में दिन के उजाले में होता है सफ़ेद बालू का काला कारोबार, माफिया पर नकेल कसने में विफल है पुलिस

CHHAPRA : छपरा शहर से सटे रिविलगंज थाना क्षेत्र के दिलिया रहीमपुर जान टोला में खनन माफिया तेजी से फल-फूल रहे है। लगातार छोटी सरयू नदी से सफेद बालू के अवैध खनन का सिलसिला चल रहा है। लेकिन प्रशासनिक अमला इस पर नकेल कसने में कामयाब नहीं हो पाया है। नदी से आए दिन अवैध रूप से बालू खनन का काला कारोबार जारी है। हैरानी की बात यह है कि भगवान बाजार थाना क्षेत्र और रिविलगंज थाना पुलिस की नाक के नीचे ही गैर-कानूनी काम बेरोक-टोक चल रहा है। 

रात के सन्नाटे में शुरू होता है खेल

रात के सन्नाटे और अंधेरे में खनन माफिया के लोग बेखौफ होकर सफेद बालू का अवैध खनन कर रहे हैं। नदी के पास कई ट्रैक्टर-ट्रॉली खाली आते हैं। इसके बाद बालू लोड करके चले जाते हैं। इस मनमानी पर लगाम लगती नहीं दिख रही है। पुलिस का रवैया इस मामले में सवालों के घेरे में है। बालू ढुलाई के बाद भगवान बाजार थाना क्षेत्र के अन्नपूर्णा मंदिर दौलतगंज, टक्कर मोड ,गुदरी बाजार के सामने से ही ट्रैक्टर-ट्रॉली और ट्रक गुजरते हैं, लेकिन कोई रोकने वाला नहीं है। विभिन्न चौक चौराहों पर तैनात पुलिस उनसे पूछताछ तक नहीं करती। खनन माफिया इस प्राकृतिक संपदा का दोहन कर मालामाल हो रहे हैं, वहीं प्रशासन उस पर अंकुश लगाने में नाकाम है।

माफिया के गुर्गे बेखौफ

खनन के इस खेल में माफिया के गुर्गे बेखौफ हैं। उन्हें पुलिस की कोई परवाह नहीं है। खनन माफिया के गुर्गे अवैध खनन करते हैं। पूरी रात बालू से लदे ट्रैक्टर ट्रॉली भगवान बाजार और नगर थाना क्षेत्र के विभिन्न सड़कों  से गुजरते रहते हैं। इसके बावजूद पुलिस कान में रुई लगाकर बैठी रहती है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि कहीं इस काले कारोबार में कोई प्रशासनिक मिलीभगत तो नहीं है।

बदहाली की ओर नदियों की धारा

बालू खनन की यह रफ्तार अब अनियंत्रित होने लगी है। इसका कुप्रभाव पर्यावरण संकट की ओर ले जा रहा है। सारण में गंगा, घाघरा सोन व गंडक जैसी बड़ी नदियां धीरे-धीरे बदहाली की ओर बढ़ने लगी हैं। इन नदियों का जल अस्थिर होने लगा है और तटीय इलाकों में जैव विविधिता पर कुप्रभाव पड़ रहा है। बालू खनन के हालात को नियंत्रित नहीं किया जाना बड़ी तबाही का संकेत है। उत्खनन से नदियों की धारा का प्रवाह बदला तो सारण के साथ नदी तटीय क्षेत्र वाले बिहार के अन्य जिलों में जलप्रलय होना तय है।

ब्रोंकाइटिस का शिकार हो रहे हैं बच्चे और बड़े

सफेद बालू के अंधाधुंध ढुलाई के कारण स्कूली बच्चों से लेकर बड़े लोग ब्रोंकाइटिस समेत अन्य बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। शहर के दहियांवा महमूद चौक, डाकबंगला, तेलपा, मिशन रोड आदि इलाकों से प्रतिदिन सुबह से ही नदी घाटों से बालू लदे वाहनों का परिचालन शुरू हो जाता है। हालाँकि यह शहर का एक व्यस्ततम इलाका है। इसी रास्ते से होकर हजारो बच्चे अपने-अपने स्कूल जाते हैं। इस इलाके की सड़क पर बालू की मोटी परत देखी जा सकती है। जिस कारण जब भी इधर से कोई वाहन गुजरता है तो सड़क के चारो ओर धूल उड़ने लगती है। यह धूल सीधे-सीधे हवा में मिककर बच्चों के शरीर में प्रवेश कर जाती है और बच्चों में कई गंभीर बीमारियों की आशंका बनी रहती है। बालू युक्त आक्सीजन ग्रहण करने से होने वाले खतरों पर जब हमने सदर अस्पताल के उपाधीक्षक एसडी सिंह से बात कि तो उन्होंने धूल युक्त हवा से होने वाले कई गंभीर बीमारियों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि अगर रेतीली बालू लगातार किसी के भी शरीर में प्रवेश करती रहेगी तो उसे श्वास रोग की तकलीफ हो जाएगी। वहीं बच्चों में बोल्कियल आज्मा और निमोनिया का भी असर हो सकता है। 

लोग बंद कर लेते हैं खिड़की दरवाजे

रिहायशी इलाके से होकर बालू ढोने का खेल कई महीनों से जारी है। आये दिन ट्रैक्टरों की संख्या बढ़ते ही जा रही है। सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक हर दिन लगभग 200 के आसपास वाहनों के सफ़ेद रेतीली बालू ढोया जाता है। ऐसे में दिनभर इन इलाकों में धूल और रेत की गर्द उड़ते रहती है। यही कारण है कि स्थानीय लोग दिन में भी अपने-अपने घरों में खिड़की और दरवाजे बंद कर घुटन भरी जिंदगी जीने को विवश हैं। कई लोग तो धूल से इतने परेशान रहते हैं कि सुबह, दोपहर और शाम तीनो समय सड़क पर पानी पाटने में ही व्यस्त रहते है। ताकि हवा में उड़ती धूल से उन्हें थोड़ी राहत मिल सके। ड्राईवर जानलेवा रूप से ट्रैक्टर का परिचालन करते हैं।

जानबूझकर रोकते हैं नदी का प्राकृतिक प्रवाह

बालू खनन वाले तटीय इलाकों के किसानों की माने तो अवैध खनन में शामिल लोग जानबूझ कर नदी के पानी की स्वभाविक प्रवाह को रोकते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं कि एक ही जगह से अधिक से अधिक बालू का खनन किया जा सके। हालात यह है कि एनजीटी की रोक के बावजूद पोकलेन से तीन फुट से अधिक गहरी खुदाई कर सफेद बालू निकाले जा रहे हैं। पर्यावरणविदों की माने ऐसा करने से नदी के प्रवाह में कई तरह के बदलाव आ सकते हैं। इससे भू-कटाव होगा और भू-स्खलन का खतरा मंडराने लगेगा। 

प्रदूषित हो चुकी है कई क्षेत्रों की हवाएं

नदी तटीय क्षेत्र का वातावरण प्रदूषित होने लगा है। तटीय क्षेत्र चिरांद के लोग बताते हैं कि नदी किनारे की हवा पहले जैसे अब शुद्ध नहीं रही। यहां के तटों के पत्थरों पर पड़ते काले निशान इनके दावे को प्रमाणित कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ सारण के सोनपुर से लेकर मांझी तक नदी तटीय इलाकों के लोगों में बढ़ती सांस की बीमारी के पीछे भी बालू का ही कारोबार बताया जा रहा है। सर्वेक्षण बताता है कि वाहनों से ढोये जा रहे बालू और तटीय इलाके में स्टोर किये गये बालू के कण हवा में उड़ कर तटीय गांवों के लोगों के फेफड़े तक पहुंच रहे हैं। इससे बड़ी संख्या में लोग रोगग्रस्त हो रहे हैं। 

दिन के उजाले में भी होता है उजले बालू का खनन

हैरत की बात यह है कि शहर के नगर थाना और भगवान बाजार थाना क्षेत्र से उजले बालू लदी ट्रैक्टर गुजरते हैं जहां आलाधिकारियों का लगातार आना-जाना लगा रहता है। इसके बावजूद कार्रवाई नहीं होना सवाल खड़े करता है। दिन के उजाले में सरयू नदी के किनारे से जेसीबी और दर्जन भर ट्रैक्टर खनन कार्य में लगे रहते हैं ।माफिया के लोग इस बालू को स्थानीय बाजार में 5 सौ से 8 सौ रुपए प्रति ट्रॉली के हिसाब से बेचते हैं। बालू ढुलाई के लिए बजाप्ता जेसीबी की सहायता से ट्रैक्टर के लिए मार्ग तैयार किया गया है। जिससे दिन भर बालू ढुलाई करते ट्रैक्टर आते-जाते रहते हैं। 

खनन स्थल से थानों की दूरी 2-3 किलोमीटर

बड़ी बात तो यह है कि जहां अवैध बालू खनन होता है, वहां से भगवान बाजार थाने और नगर थाने की दूरी महज 2-3 किमी है। लेकिन पुलिस की नजर भी बालू के अवैध कारोबार पर नहीं जा रही है। यही नहीं अवैध बालू खनन व मिट्टी कटाई से पर्यावरण और स्वास्थ्य को भी खतरा है।

हमला करने से नहीं डरते माफिया

बालू माफियाओं का मनोबल दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। इसका एक उदाहरण हाल ही में को देखने को मिला था। दरअसल डीएम डॉक्टर निलेश रामचंद्र देवरे के आदेश पर डीटीओ, जिला खनन पदाधिकारी, एसडीपीओ सदर व एमवीआई दल बल के साथ दिघवारा के आमी गांव के पास गए थे। वहां उन्होंने अवैध बालू लदे 19 ट्रकों को पकड़ा था। धंधेबाजों को अफसरों की यह कार्रवाई नागवार गुजरी और उन्होंने सड़क जाम कर रहे लोगों को मोहरा बनाकर अफसरों और पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया था। पुलिस की पकड़ से बचने के लिए बालू लदे ट्रैक्टर और ट्रक भी लोगों की जान ले लेते हैं। शहर के तेलपा मोहल्ले में एक ट्रैक्टर ने बच्चे को कुचल दिया था। जिसके बाद स्थानीय लोगों ने ट्रैक्टर चालक को बंधक बना लिया था। मामला काफी गंभीर हो गया था। जिसके बाद जिले के वरीय अफसरों को हस्तक्षेप करना पड़ा। उसी तरह मुफस्सिल थाना क्षेत्र के मेथवलिया गांव के पास बालू लदे ट्रक के चपेट में एक साइकिल सवार के आ जाने से मौके पर ही उसकी मौत हो गई थी। शहर के ही वार्ड नंबर 42 रेलवे गेट संख्या 42 के पास भी कई घटनाएं हो चुकी हैं।

20 से अधिक पुलिसकर्मियों पर गिरी गाज, पर सुधार नहीं

बालू लदे ट्रकों और ट्रैक्टरों से अवैध वसूली करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई हुई है। वर्तमान एसपी संतोष कुमार ने अब तक 20 से अधिक पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की है। इसके बावजूद पुलिस की कार्यशैली में सुधार नहीं हो पा रहा है। अवैध वसूली को लेकर कई वीडियो भी वायरल हुआ। जिस पर मकेर व सोनपुर थाना क्षेत्र में बालू परिवहन करने वाले ट्रकों से अवैध वसूली के आरोपी 9 पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई हुई थी। 

‌एनजीटी की छपरा पहुंची टीम ने भी चेताया था

बालू का अवैध खनन और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के सदस्यों की टीम अगस्त 2021 में जिले के विभिन्न बालू घाटों की जांच की थी। जिले के डोरीगंज से लेकर सोनपुर तक बालू घाटों की जांच की थी। इस दौरान बालू के अवैध खनन को रोकने को लेकर टीम ने कई निर्देश दिए। साथ ही चेताया था कि यदि  शिकायत मिलती है तो एनजीटी स्वत संज्ञान लेकर कार्रवाई शुरू कर देगी।

क्या कहते हैं अधिकारी

सदर अंचलाधिकारी सत्येंद्र कुमार सिंह ने कहा की विभिन्न परीक्षाओं के कारण उस ओर ध्यान नहीं जा पा रहा है। छूटते ही जांच पड़ताल की जाएगी और कार्रवाई होगी। वहीँ जिला खनन पदाधिकारी ने कहा की इस मामले की जानकारी ली जा रही है। यदि अवैध खनन हो रहा है तो निश्चित ही कार्रवाई की जाएगी। वैसे एक 30 में से 22 नदी घाटों का बंदोबस्ती हो गया है। स्थानीय थाने की मदद ली जाएगी। उन्होंने कहा की जबसे टेंडर की प्रक्रिया पूरी हुई है। तब से कोई भी कार्रवाई खनन पदाधिकारी की मौजूदगी में करनी है। टेंडर के पहले सब पर कार्रवाई करनी थी। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए और डीएम को संज्ञान में देते हुए इस पर निश्चित ही कार्रवाई की जाएगी।

छपरा से संजय भारद्वाज की रिपोर्ट

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