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एक अकेले आदमी के लिए पीड़िता का मुंह बंद कर के उसके और अपने कपड़े उतारकर बिना किसी झड़प के बलात्कार करना लगभग असंभव, आरोपी को कर दिया बरी

एक अकेले आदमी के लिए पीड़िता का मुंह बंद कर के उसके और अपने कपड़े उतारकर बिना किसी झड़प के बलात्कार करना लगभग असंभव, आरोपी को कर दिया बरी

डेस्क। दुष्कर्म मामले को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट फिर से चर्चा में है। एक सप्ताह पहले किसी लड़की या महिला के कपड़ों के ऊपर से छूने को यौन अपराध नहीं मानन का फैसला देनेवाले हाईकोर्ट ने इस बार एक नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में दस साल की सजा पा चुके आरोपी को बरी कर दिया है। इसके लिए हाईकोर्ट ने तर्क दिया है, वह अपने आप में सबसे अलग है। कोर्ट ने कहा है कि एक अकेले आदमी के लिए पीड़िता का मुंह बंद कर के उसके और अपने कपड़े उतारकर बिना किसी झड़प के बलात्कार करना लगभग असंभव है। इससे पहले न्यायमूर्ति पुष्पा गनेदीवाला ने हाल ही में अपने एक फैसले में 12 साल की लड़की के स्तन को छूने के आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं हुआ था। एक अन्य फैसले में न्यायमूर्ति गनेदीवाला ने कहा कि पांच साल की बच्ची का हाथ पकड़ना और पैंट की ज़िप खोलना पॉक्सो अधिनियम के तहत यौन हमले के दायरे में नहीं आता।

क्या है पूरा मामला 

मामला आठ साल पुराना है। आरोप है कि जुलाई 2013 में 26 साल के सूरज कासरकर ने 15 साल की नाबालिग युवती से उसके घर में घुसकर दुष्कर्म किया। यह दुष्कर्म तब हुआ जब युवती घर में अकेली थी। जिस पर न्यायमूर्ति ने इस साल 14 जनवरी को 14 जनवरी वाला फैसला 27 वर्षीय जगेश्वर कावले की ओर से दायर याचिका पर सुनाया। कावले को पोक्सो ऐक्ट और भारतीय दंड संहिता के तहत एक 17 वर्षीय लड़की से रेप का दोषी माना गया था। इसके लिए उसे 10 साल की सजा मिली थी। 

हाईकोर्ट ने नहीं मानी गवाही


 कोर्ट से मिली सजा के विरोध में सूरज ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी जिसमें  आरोपी ने अपनी याचिका में यह दावा किया  कि वह और पीड़िता आपसी सहमति से संबंध में थे। उसने यह भी बताया कि लड़की की मां को जब इसके बारे में पता लगा तो उसके खिलाफ केस दर्ज कर दिया। इस पर सुनवाई के दौरान जस्टिस गनेदीवाला ने कहा कि लड़की ने ट्रायल कोर्ट में अपनी उम्र 18 साल बताई थी लेकिन उसकी मां ने एफआईआर में लड़की की उम्र 15 साल लिखवाई। न्यायमूर्ति ने इसक पे बाद यह भी कहा कि एक अकेले आदमी के लिए पीड़िता का मुंह बंद कर के उसके और अपने कपड़े उतारकर बिना किसी झड़प के बलात्कार करना लगभग असंभव है। कोर्ट के आदेश में यह भी कहा गया है कि मेडिकल जांच के बाद मिले सबूत भी पीड़िता के केस के पक्ष में नहीं हैं। न्यायमूर्ति गनेदीवाला ने कहा कि अगर यह संबंध जबरन बनाए गए होते तो दोनों पक्षों में झड़प हुई होती। मेडिकल रिपोर्ट में दोनों के बीच ऐसी कोई झड़प की पुष्टि नहीं हुई है। अभियोजन पक्ष का कहना था कि आरोपी पीड़ित लड़की को अपनी बहन के यहां ले गया और वहां 2 महीने तक उसके साथ कई बार संबंध बनाए। इस मामले में कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के बयान के अलावा इस रेप केस को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है।

न्यायमूर्ति पुष्पा गनेदीवाला ने हाल ही में अपने एक फैसले में 12 साल की लड़की के स्तन को छूने के आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं हुआ था। न्यायमूर्ति पुष्पा गनेदीवाला ने हाल ही में अपने एक फैसले में 12 साल की लड़की के स्तन को छूने के आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं हुआ था।  हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस फैसले को खारिज कर दिया था।

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