पटना. जातीय गणना पर रोक लगाने वाली याचिका पर मंगलवार को पटना हाई कोर्ट में दोपहर 12 बजे से सुनवाई शुरू हुई. याचिकाकर्ताओं के वकीलों की ओर से जाति गणना पर रोक लगाने को लेकर कई पकर के तर्क दिए गए. पहले चरण में करीब पौने दो घंटों तक सुनवाई हुई. दोपहर 2 बजे के पहले कोर्ट की कार्यवाही भोजनावकाश के लिए रोक दी गई और उसके बाद फिर से सुनवाई शुरू हुई. इस दौरान कई अहम मुद्दों पर वादी और प्रतिवादी की ओर से पक्ष रखा गया.
करीब पौने दो घंटे तक याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुनने के बाद हाईकोर्ट में बिहार सरकार की ओर से महाधिवक्ता की दलील शुरू हुई. आज की सुनवाई बेहद अहम मानी जार ही है. हाईकोर्ट यह तय करेगा कि जातीय जन-गणना संविधान के दायरे में है या नहीं. साथ ही इसे जारी रखा जाना चाहिए या नहीं इसे लेकर भी पटना हाई कोर्ट आज अपना फैसला सुना सकता है.
दरअसल, जातीय गणना पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई से इनकार करते हुए इसे पहले पटना हाई कोर्ट ले जाने कहा था. उसी आधार पर सोमवार को मामले में सुनवाई की प्रक्रिया शुरू हुई. लेकिन, सरकार की तरफ से काउंटर एफिडेविट जमा नहीं करने की वजह से इसपर मंगलवार को सुनवाई शुरू हुई. पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केवी चन्द्रन की खंडपीठ सुनवाई करेगी.
दरअसल, राज्य सरकार द्वारा राज्य में जातियों की गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली अखिलेश कुमार व अन्य की याचिकाओं पर चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ सुनवाई कर रही है। पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार ने जातियों और आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है। उन्होंने कहा कि ये सर्वेक्षण कराने का अधिकार राज्य सरकार को नही है। उन्होंने कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार जातियों की गणना व आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है। उन्होनें बताया कि ये राज्य सरकार के क्षेत्रधिकार में नहीं आता है।
उन्होंने कहा कि प्रावधानों के तहत इस तरह का सर्वेक्षण केंद्र सरकार करा सकती है। ये केंद्र सरकार की शक्ति के अंतर्गत आता है। उन्होंने बताया था कि इस सर्वेक्षण के लिए राज्य सरकार पाँच सौ करोड़ रुपए खर्च कर रही है। राज्य सरकार के एडवोकेट जनरल ने इसकी सुनवाई की योग्यता पर बुनियादी आपत्ति की थी। उन्होंने कहा कि ये याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। कोर्ट ने इस अमान्य करते हुए कहा था कि ये प्रावधानों के उल्लंघन और पाँच सौ करोड़ रुपए से सम्बंधित मामला है।
कोर्ट ने इस मामलें पर 2 मई,2023 को सुनवाई की नई तिथि निर्धारित की है। इस याचिकाकर्ता की ओर से दीनू कुमार व ऋतु राज और राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल पी के शाही कोर्ट के समक्ष पक्षों को प्रस्तुत कर रहे हैं।