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सारण में बीआरपी और प्रधानाध्यापिका ने मिलकर कर दिया MDM चावल का गबन, एक साल में भी नहीं दर्ज हुई एफ आई आर

सारण में बीआरपी और प्रधानाध्यापिका ने मिलकर कर दिया MDM चावल का गबन, एक साल में भी नहीं दर्ज हुई एफ आई आर

CHHAPRA : सारण में एमडीएम चावल के गबन का खेल कोविड-19 काल में जमकर हुआ है। इसके कई उदाहरण मिले हैं। सरकार ने कोविड-19 मे आम लोगों और स्कूली बच्चों के परिवार वालों को राहत देने के लिहाज से एमडीएम योजना के तहत राशन बांटने का आदेश दिया था। लेकिन यह राशन लाभुकों तक नहीं पहुंचा और सीधे काला बाजार में पहुंच गया। इसमें धंधेबाज और इस योजना से जुड़े सफेदपोश मालामाल हो गए। सबसे बड़ी बात है की कालाबाजारी का भंडा फुटने के बाद भी अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की । केवल एफ आई आर की धमकी देते रह गए। अब तो यह अधिकारी ही बताएंगे कि पूरे 1 साल में उनके द्वारा f.i.r. क्यों नहीं की गई? एक उदाहरण हम यहां प्रसाद प्रखंड का दे रहे हैं जहां 30 जुलाई 2020 को खुद जिला कार्यक्रम पदाधिकारी एमडीएम पहुंचे थे और स्कूल में जाकर जांच की थी। उस दौरान कई बड़े खुलासे हुए थे। हास्यास्पद तथ्य तो यह है कि अभी डीपीओ के खुद की जांच पर भरोसा नहीं है और उन्होंने बीआरपी से रिपोर्ट मांगी है अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है और सब को पाक साफ कर दिया गया है।

‌जांच में प्रथम दृष्टया एक ही स्कूल में 9 क्विंटल चावल के गबन का मामला सामने आया था। दरअसल जिला कार्यक्रम पदाधिकारी एमडीएम 30 जुलाई को उत्क्रमित मध्य विद्यालय न्याय परसा में पहुंचे थे। उन्होंने स्कूल की जांच की थी और प्रधानाध्यापिका और प्रखंड साधन सेवी से शो कॉज किया था। अपने शो कॉज लेटर में उन्होंने कहा था कि निरीक्षण के क्रम में स्कूल में कई अनियमितताएं पाई गई। पहले तो स्कूल 1:30 बजे तक पूर्णता बंद था। ग्रामीणों से संपर्क कर प्रधानाध्यापिका को बुलाया गया। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि प्रधानाध्यापिका 8 किलोग्राम प्रति छात्र की जगह औसतन 4 से 5 किलोग्राम चावल बाल्टी से नाप कर देती हैं । एमडीएम पंजी को नहीं दिखाया गया । कोरोनावायरस के कारण विद्यालय बंदी अवधि का खाद्यान्न छात्रों के अभिभावकों को वितरण के पश्चात वितरण पंजी का अवलोकन किया गया । जिससे स्पष्ट हुआ कि 29 जुलाई 2020 को स्कूल को 37.503 क्विंटल खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया था। जिसमें से 29 जुलाई और 30 जुलाई को वर्ग 1 से 5 के 143 छात्र छात्राओं के अभिभावकों को कुल  1144 किलोग्राम खाद्यान्न वितरण किया गया था ।जबकि कुल प्राप्त खाद्यान्न 3750 किलोग्राम था। इस तरह 2606 किलोग्राम खाद्यान्न स्कूल में होना चाहिए था लेकिन स्कूल में मात्र 1450 किलोग्राम यानी 29 पैकेट चावल ही बच गया था। इस प्रकार विद्यालय में 1156 किलोग्राम चावल कम पाया गया था। खाद्यान्न वितरण पंजी का अवलोकन किया गया तो पता चला कि 29 जुलाई से पहले कक्षा 1 से 5 के कुल 79 छात्र छात्राओं के अभिभावकों को  8 किलोग्राम प्रति छात्र की दर से खाद्यान्न वितरण किया गया था। जिसको जोड़ने पर कुल 632 किलोग्राम खाद्यान्न वितरण किया गया था। पूर्व के अवशेष खाद्यान्न को शून्य बताया गया था। जबकि कार्यालय के एमआईएस रिपोर्ट के अनुसार विद्यालय में 1 से 5 कक्षा के लिए 506 किलोग्राम तथा कक्षा 6 से 8 के लिए 581 किलोग्राम यानी बंदी के दौरान कुल 1087 किलोग्राम खाद्यान्न अवशेष था। उक्त बचे हुए खाद्यान्न से वितरण किए गए खाद्यान्न को घटाने पर 455 किलोग्राम खाद्यान्न विद्यालय में अवशेष सुरक्षित होना चाहिए था। जो कि नहीं पाया गया था ।

प्रखंड साधन सेवी की मनमानी सामने आई

‌ स्कूल में भौतिक रूप से कम खाद्यान्न पाए जाने  को लेकर जब हेड मास्टर  से डीपीओ ने पूछा तो हेड मास्टर के द्वारा बताया गया कि प्रखंड साधन सेवी के प्रतिनिधि के द्वारा चावल प्राप्ति रसीद में 75 पैकेट यानी 37.5 क्विंटल पर हस्ताक्षर करवाया गया था। परंतु स्कूल को मात्र 57 पैकेट 28.5 क्विंटल उपलब्ध कराया गया था। इस प्रकार 18 पैकेट चावल कम दिया गया था। साथ ही हेड मास्टर के द्वारा यह भी बताया गया कि प्रखंड साधन सेवी के प्रतिनिधि रोशन कुमार के द्वारा प्रखंड साधन सेवी के भाई का नाम लेकर ऐसा कार्य किया जाता रहा है। 

‌एफ आई आर का दिया था आदेश

‌डीपीओ ने अपने शो कॉज पत्र में स्पष्ट कर दिया था कि यह प्रथम दृष्टया हेड मास्टर और प्रखंड साधन सेवी के मिलीभगत से विद्यालय को आवंटित खाद्यान्न को कम मात्रा में प्राप्त कर खाद्यान्न की हेरा फेरी एवं कालाबाजारी की जाती है। यह बेहद गंभीर मामला है। डीपीओ ने पत्र निर्गत होने के 24 घंटे के अंदर तथ्यात्मक एवं साक्ष्य आधारित  जवाब उपलब्ध कराने को कहा था। साथ ही यह भी कहा था कि क्यों नहीं मिलीभगत कर एमडीएम योजना के चावल के गबन एवं कालाबाजारी करने के आरोप में हेड मास्टर और प्रखंड साधन सेवी पर एफ आई आर दर्ज करते हुए सस्पेंशन की कार्रवाई शुरू की जाए।

‌बीआरपी और संवेदक की जगह पत्नी ,भाई, भतीजा व दोस्त चलाते हैं योजना

पूरे जिले में एमडीएम योजना के क्रियान्वयन की जांच की जाए तो यह बात सामने आ जाएगी कि इस योजना में लगाई गई एजेंसियां अपने मनमानी को किस हद तक पार कर चुकी है। इस जिले में एमडीएम योजना को प्रखंड साधन सेवी और संवेदक ओके संबंधी चलाते हैं। इसमें कुछ दलाल, कालाबाजारी और रंगदारी करने वाले भी शामिल हो गए हैं। यदि किसी ने किसी के खिलाफ शिकायत की तो तुरंत उनके पीछे धंधेबाज लग जाते हैं उनकी हत्या तक की धमकी दे दी जाती है।

क्या कहते हैं डीपीओ

इस मामले मे बीआरपी को भी जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया था। पुराना मामला है कागज देखने के बाद ही पता चलेगा। फिलहाल रिपोर्ट मांगी गई है।

छपरा से संजय भारद्वाज की रिपोर्ट  

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