पटना. बिहार भवन उप विधि 2014 में संशोधन की स्वीकृति प्रस्ताव पर सोमवार को मंत्रिपरिषद की मंजूरी मिल गई। इस बीच बिहार के उपमुख्यमंत्री सह नगर विकास एवं आवास विभाग के मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने बताया कि नए बिल्डिंग बायलॉज की कैबिनेट से मंजूरी मिल जाने से शहरी क्षेत्रों में निर्माण खासतौर पर ऊंची इमारतों के निर्माण कार्य को प्रोत्साहन मिलेगा तथा कम क्षेत्रफल में शहर की बढ़ती आबादी की आवासीय जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने बताया कि बिहार भवन उपविधि 2014 में प्रस्तावित संशोधन के प्रमुख बिंदुओं जैसे- अपार्टमेंट, प्राधिकार, भवन ऊंचाई, फर्श क्षेत्र अनुपात (एफ.ए.आर.), विरासित प्रक्षेत्र, मिश्रित भूमि उपयोग, प्राचीर, रजिस्ट्रीकृत वास्तुविद, बिल्डर्स, अभियंता, सड़क चौड़ाई एवं सर्विस फ्लोर इत्यादि बिंदुओं की परिभाषाओं में अस्पष्टता एवं व्यवहार्यता के उद्देश्य से संशोधन किए गए हैं। इसके अतिरिक्त भारत सरकार के मॉडल बिल्डिंग बायलॉज 2016 के आलोक में कुछ परिभाषाओं जैसे- बिल्डिंग एनवेलप, व्यक्ति, भूमि/ परिसरों का मुख्य उपयोग, केबिन, लिफ्ट, लॉबी, लेआउट संरक्षित स्मारक, विनियमित क्षेत्र एवं साइट प्लान को जोड़ा गया है।
उन्होंने बताया कि बहुमंजिला भवन के निर्माण के क्रम में निर्माण परिसर में खुले जगह में वृद्धि लाने, ग्रीन एरिया के बेहतर सुविधाओं के दृष्टिकोण से 19 मीटर से ऊपर की ऊंचाई के भवनों के लिए ग्राउंड कवरेज अधिकतम 40 प्रतिशत रखा गया है। बहुमंजिला भवनों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 40 फीट एवं उससे अधिक चौड़ी सड़क पर इस उपविधि में प्रावधानित अन्य शर्तों के तहत ऊंचाई का प्रतिबंध नहीं रहेगा। उन्होंने बताया कि 25 फीट चौड़ी सड़क पर जी प्लस 4 अधिकतम ऊंचाई 16 मीटर के भवन की अनुमति का प्रावधान रहेगा। 30 फीट चौड़ी सड़क पर जी प्लस 5 अधिकतम ऊंचाई 18 मीटर के पूर्व के प्रावधानों में संशोधन करते हुए 30 फीट चौड़ी सड़क पर जी प्लस 6 की अधिकतम ऊंचाई 22 मीटर के भवन निर्माण की अनुमति रहेगी।
उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने बताया कि बिहार भवन उपविधि 2014 में गंगा नदी एवं अन्य नदियों के किनारे निर्माण पर प्रतिबंध से संबंधित प्रावधानों में भी आवश्यक संशोधन किए गए हैं। उन्होंने बताया कि गंगा नदी के किनारे शहर सुरक्षा दीवार से शहरी इलाके की ओर 15 मीटर भूमि के अंदर, गंगा नदी के किनारे तटबंध के निचले किनारे से शहरी इलाके की ओर 25 मीटर की भूमि के अंदर निर्माण या पुनर्निर्माण की अनुमति नहीं होगी। उन्होंने बताया कि गंगा नदी के अलावा अन्य नदियों के मामले में अधिकतम आसिलेटेड किनारे से 30 मीटर की भूमि पट्टी के अंदर किसी भवन के निर्माण या पुनर्निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी।
उपमुख्यमंत्री तारकिशोर ने कहा कि शहरों का व्यवस्थित स्वरूप एवं बेहतर नगरीय सुविधाओं का विकास हमारी प्रतिबद्धता है। हमारी नदियों का किनारा अक्षुण्ण रहे तथा उसकी अविरलता और निर्मलता बरकरार रखने के लिए नए बिल्डिंग बायलॉज में आवश्यक प्रबंध किए गए हैं। नए बिल्डिंग बायलॉज से शहरी आबादी को आवश्यक सुविधाओं के साथ-साथ शहरों के सुव्यवस्थित विस्तार में भी सहायता मिलेगी।