PATNA : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने परिवहन विभाग की पूरी पोल खोल दी है। कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि वाहनों का फिटनेस प्रमाण पत्र नवीनीकरण नहीं होने से 187.01 करोड़ के राजस्व से सरकार वंचित हो गई। दरअसल बिहार में फिटनेस जांच की सिर्फ खानापूर्ति होती है। देश में शायद बिहार पहला ऐसा राज्य है जहां गाड़ियों का या तो फिटनेस जांच नहीं होता या फिर बिना देखे ही रिपोर्ट तैयार किया जाता है। वर्तमान में बिहार में गाड़ियों के फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एमवीआई फार्मूला लागू है। कैग रिपोर्ट में भद्द पिटने के बाद परिवहन विभाग ने आज पूरे राज्य में फिटनेस जांच अभियान चलाया है।
कैग रिपोर्ट में भद्द पिटने बाद जागा परिवहन विभाग
वाहनों में ओवरलोडिंग, ड्राइविंग लाइसेंस तथा व्यवसायिक वाहनों के फिटनेस जांच के लिए शनिवार को सभी जिलों में विशेष जांच अभियान चलाया गया । इस दौरान बिना ड्राइविंग लाइसेंस, ओवरलोडिंग तथा फिटनेस प्रमाण पत्र अपडेट नहीं पाए जाने वाले वाहनों पर कार्रवाई की गई। यह अभियान सभी जिलों में जिला परिवहन पदाधिकारी, एमवीआई और ईएसआई द्वारा संयुक्त रूप से चलाया गया।
परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि अभियान के तहत ट्रक सहित कुल 700 वाहनों के फिटनेस जांच प्रमाण पत्र की जांच की गई। जांच में 46 ट्रकों का फिटनेस फेल पाया गया। ऐसे वाहनों जुर्माना लगाया गया तथा 27 ट्रकों को जब्त करने की कार्रवाई की गई। परिवहन सचिव ने सभी व्यवसायिक वाहन मालिकों से अपील की है कि वे अपने ट्रकों एवं अन्य व्यवसायिक वाहनों की फिटनेस जांच करा लें एवं दुरुस्त होने के बाद ही चलाएँ। फिटनेस फेल वाहनों को चलाना न सिर्फ मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि सड़क सुरक्षा के लिहाज से भी खतरनाक है। आये दिन इससे सड़क दुर्घटना होती है।
जिला परिवहन कार्यालय द्वारा काॅमर्शियन और निजी वाहनों के लिये अलग-अलग अवधि के लिए फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। नई गाड़ियों के पंजीकरण के समय ही उन्हें प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है। 8 साल तक नये काॅमर्शियन वाहनों को यह दो साल के लिये जारी किया जाता है। वहीं 8 साल से पुराने व्यावसायिक वाहनों को हर साल जांच करवाकर फिटनेस प्रमाण पत्र लेना जरूरी होता है।
पटना से विवेकानंद की रिपोर्ट