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'नेताओं के खिलाफ वापस हो सकते हैं मुकदमा, लेकिन हाईकोर्ट इसकी समीक्षा करेगी', जानिये क्या है पूरा मामला

'नेताओं के खिलाफ वापस हो सकते हैं मुकदमा, लेकिन हाईकोर्ट इसकी समीक्षा करेगी', जानिये क्या है पूरा मामला

Desk. सुप्रीम कोर्ट ने  नेताओं के खिलाफ मुकदमे पर एक अहम सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि यदि नेताओं के खिलाफ दुर्भावना से मुकदमा दर्ज किया गया है, तो राज्य सरकार चाहे तो वापस ले सकती है, लेकिने इसके लिए राज्य को हाई कोर्ट से बात करनी होगी कि मुकदाम सही है या गलत है. बता दें कि हाल के दिनों कई राज्यों में नई सरकार बनने के बाद सत्ताधारी दल के नेताओं पर से मुकदमा वापस ले लिया गया था. इसमें उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र सबसे ज्यादा है.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में कोर्ट के सलाहकार ने एक रिपोर्ट जमा की थी, जिसमें बताया गया था कि कई राज्यों ने सांसद और विधायकों के खिलाफ दर्ज अपराधिक मुकदमा वापस ले लिया है. इसमें उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर दंगों में आरोपी बनाए गए कई विधायक भी थे. सबसे ज्यादा मुकदमे उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में वापस लिए गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने तब आदेश दिया था कि सांसदों या विधायकों के खिलाफ कोई भी मुकदमा बिना हाईकोर्ट के आदेश के राज्य सरकार वापस नहीं ले सकती है.

इसको लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कई बार नेताओं के खिलाफ दुर्भावना से मुकदमा दर्ज किया जाता है. चीफ जस्टिस एनवी रमण ने आज साफ किया कि अगर कोई मुकदमा दुर्भावना से दर्ज हुआ है, तो राज्य सरकार इसे वापस ले सकती है. लेकिन इसकी समीक्षा हाई कोर्ट में होनी चाहिए, ताकि कोई मुकदमा गलत तरीके से वापस नहीं लिया जा सके.

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