NEW DELHI : देश में जातीय गणना कराने की मांग की जा रही है। लेकिन अभी तक केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी नहीं दी है। लेकिन, दिल्ली के जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में जातीय गणना की तैयारी शुरू हो गई है। यह देश में पहली बार होगा जब किसी यूनिवर्सिटी में छात्रों की जातीय गणना कराया जाएगा।
दरअसल जेएनयू में पिछले 15 दिनों से हड़ताल कर रहे छात्रों के संगठन और विश्वविद्यालय प्रशासन के बीच कई मांगों पर आम सहमति बन गई है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रदर्शनकारी छात्र संघ की 12 प्रमुख मांगों में से कम से कम छह को पूरा करने पर सहमति जताई है।
इनमें प्रवेश के लिए पुरानी आंतरिक प्रवेश परीक्षा प्रणाली - जेएनयू प्रवेश परीक्षा (जेएनयूईई) को बहाल करना, जेएनयू परिसर में जाति जनगणना कराना, छात्रवृत्ति राशि में इजाफा करना और प्रवेश के लिए वाइवा को दिए जाने वाले वेटेज में कमी का प्रस्ताव शामिल है।
हालांकि इन मांगों पर सहमति बन जाने के बावजूद अभी भी छात्र संघों की हड़ताल जारी है। छात्र संघ अध्यक्ष धनंजय और पार्षद नीतीश कुमार भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उनका कहना है कि जिन मुद्दों पर सहमति बनी है, उनकी लिखित पुष्टि की मांग कर रहे हैं। ये भूख हड़ताल 11 अगस्त को शुरू हुई थी।
छात्रसंघ के मुताबिक बातचीत के दौरान प्रशासन ने इन मुद्दों को स्वीकार करने की मौखिक सहमति दी। JNUSU ने अब अपनी मांगों को लेकर रिले भूख हड़ताल और रात्रि जागरण का आह्वान किया है। छात्र 11 अगस्त से अपनी मांगों के संबंध में प्रशासन के कथित गैर-जिम्मेदाराना रवैये के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।