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जनसंख्या नियंत्रण के खिलाफ कैथोलिक चर्च, की घोषणा पांच बच्चों वाले ईसाई परिवार की करेंगे आर्थिक सहायता

जनसंख्या नियंत्रण के खिलाफ कैथोलिक चर्च, की घोषणा पांच बच्चों वाले ईसाई परिवार की करेंगे आर्थिक सहायता

DESK : देश में एक तरफ जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कानून बनाने की मांग की जा रही है। दो से अधिक बच्चे पैदा करनेवाले पैरेंट्स के खिलाफ नौकरी से वंचित किए जाने से लेकर सभी प्रकार के सरकारी योजनाओं का लाभ से अलग किया जा रहा है। यूपी और असम ऐसे राज्य हैं, जहां इसको कानूनी जामा पहना दिया गया है, वही देश में एक राज्य ऐसा भी है, जहां जनसंख्या नियंत्रण की कोशिश का मखौल उड़ा दिया गया है। चौंकानेवाली बात यह है कि यह देश का सर्वाधिक शिक्षित राज्य है।  

यहां बात केरल की जा रही है। यहां कोट्टायम जिले के पाला में कैथोलिक चर्च ने ऐलान किया है कि पांच या अधिक बच्चों वाले परिवारों आर्थिक मदद मिलेगी। चर्च का तर्क है कि 'बच्चे भगवान की ओर से एक उपहार हैं', चर्च के पाला बिशप मार जोसेफ कल्लारंगट द्वारा जारी पत्र में चार से अधिक बच्चों वाले परिवारों को वित्तीय और शैक्षिक सहायता सहित कई कल्याणकारी योजनाओं की सूची है।उन्होंने योजना की घोषणा सोमवार को एक ऑनलाइन बैठक में की। 

2000 के बाद जिनकी शादी हुई, उन्हें मिलेगा लाभ 

इस योजना में सिर्फ उन्हीं ईसाई परिवार को लाभ दिया जाएगा, जिनकी शादी 2000 के बाद हुई है और उनके पांच या अधिक बच्चे हैं, तो उन दंपति को 1,500 रुपये की मासिक आर्थिक सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है। 'यह घोषणा गिरजाघर के 'ईयर ऑफ द फैमिली उत्सव के हिस्से के तौर पर की गई है। इसका मकसद खास तौर पर कोविड-19 काल के बाद बड़े परिवारों को आर्थिक सहायता मुहैया कराना है। 

घोषणा के पीछे यह दिया गया तर्क 

अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करनेवाले इस योजना के बीच चर्च ने जो वजह बताई है, वह भी बेहद हैरान करनेवाला है। दो साल पहले एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसके अनुसार केरल उन राज्यों में शामिल रहा है, जहां आजादी के दौरान ईसाई समुदाय की संख्या सबसे अधिक थी. लेकिन आज यह संख्या घटकर सिर्फ 18.38 फीसदी रह गई है। अब समुदाय की आबादी बढ़ाने के लिए ऐसे योजना शुरू किए जा रहे हैं। अब सवाल यह है कि केरल में ईसाई समुदाय की संख्या कम हो गई, हिन्दू की आबादी कभी भी केरल में ज्यादा नहीं रही है तो यहां की जनसंख्या में किस समुदाय की तादाद अधिक हो गई है। 

समुदाय के आगे देश दरकिनार

जिस तरह चर्च ने अपने समुदाय को बचाने के लिए आबादी बढ़ाने की बात कही है, उसी तरह दूसरे धर्म भी यह बात कर सकते हैं। लेकिन इन सबके  बीच देश की बढ़ती आबादी से बन रही समस्या को दरकिनार कर दिया गया है। 



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