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किसानों की आय दोगुनी करने में सक्षम है सौर ऊर्जा, कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा आधारित प्रणालियों को अपनाए सरकार: सीड

किसानों की आय दोगुनी करने में सक्षम है सौर ऊर्जा, कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा आधारित प्रणालियों को अपनाए सरकार: सीड

PATNA : सेंटर फॉर एन्वॉयरोंमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) द्वारा कृषि, बिजली और जल के परस्पर संबंधों पर आयोजित एक नेशनल कॉन्फ्रेंस में विशेषज्ञों की सर्वसम्मति से यह निष्कर्ष सामने आया कि सौर ऊर्जा न केवल बिजली घाटे की समस्या का हल कर सकती है, बल्कि किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इस कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन बिहार सरकार के कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने किया। इस बैठक में विभिन्न स्टैक्होल्डर्स की उपस्थिति रही, जिनमें बिहार के कृषि, जल संसाधन एवं ऊर्जा विभाग के पदाधिकारीगण, प्रयास एनर्जी ग्रुप, ऑरोविल कंसल्टिंग ग्रुप तथा आईडब्ल्यूएमआई जैसे थिंक टैंक के प्रतिनिधिगण और बुद्धिजीवी तथा गणमान्य लोग प्रमुख थे। 

इस कॉन्फ्रस का लक्ष्य सोलर एनर्जी की वास्तविक संभावनाओं को रेखांकित करना था, ताकि बिहार के कृषि क्षेत्र में ऊर्जा बदलाव को स्थापित किया जा सके। कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य राज्य के कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए जल और ऊर्जा के सामंजस्यपूर्ण संबंधों पर समझदारी को और मजबूत करना था। राज्य के कृषि क्षेत्र ने बेहद प्रभावी वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की है और यह बिहार की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधारस्तंभ बना हुआ है। अकेले कृषि क्षेत्र बिहार के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में करीब 18 प्रतिशत का योगदान करता है और कृषि से संबद्ध अन्य गतिविधियों में निवेश की यह मुख्य प्रेरक शक्ति है। 

इस अवसर पर सीड के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर रमापति कुमार ने बताया कि वर्तमान कृषि संकट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर समस्या है और हमें कृषि क्षेत्र को इस समस्या से निकाल बाहर करने के लिए एकजुट होकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार में बड़ी संख्या छोटे और सीमांत किसानों की है, जिनकी जोतों का आकार छोटा है, ऐसे में बिहार को कृषि क्षेत्र में ऊर्जा जरूरत को पूरा करने के लिए एक सततशील और विश्वसनीय ‘ऊर्जा पथ’ (energy pathway) पर चलना चाहिए।

रमापति कुमार ने आगे कहा कि बिहार सरकार को कृषि क्षेत्र में पूर्णतः ऊर्जा बदलाव को संभव बनाने के लिए उचित योजना बना कर उस पर ठोस क्रियान्वयन करना चाहिए और कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए सौर ऊर्जा को मुख्य स्तंभ के रूप में प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जो किसानों की आय को दोगुनी करने में सक्षम है। अगर बेहतर तरीके से योजना तैयार हुई तो बिहार के कृषि क्षेत्र में सभी बिजली एवं ऊर्जा जरूरतों को अक्षय ऊर्जा से पूरा किया जा सकता है। हमें कृषि क्षेत्र की समस्या से निबटने के लिए विविध प्रयासों में सामंजस्य बिठाने और विभिन्न विभागों के बीच पूर्ण ‘कंजर्वेंस’ की जरूरत है।

बिहार इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन के सदस्य राजीव अमित ने कहा कि बिहार में भूजल आधारित सिंचाई की खाद्य सुरक्षा और कृषि आधारित जीविकोपार्जन को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका है। ‘‘कृषि क्षेत्र और खाद्यान्न उत्पादन में बिजली की सप्लाई को एकीकृत नजरिए से पूरा करने की जरूरत है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति के सभी पहलुओं को समाहित किया जा सके। कृषि क्षेत्र में इस एकीकृत नजरिए पर आधारित बिजली के क्रम में इसके उत्पादन और आपूर्ति, दोनों को विकेंद्रीकृत और विविधतापरक बनाने की जरूरत है और इन्हें अक्षय ऊर्जा पर ही आधारित होना चाहिए। 

उन्होंने बताया कि बिहार में कृषि के समूचे ‘वैल्यू चेन’ में अक्षय ऊर्जा कृषि तथा ऊर्जा अर्थव्यवस्था, दोनों के लिए निर्णायक हो सकता है। बिहार के एग्रीकल्चर रोडमैप-3 में 11 केवी के ‘फार्म फीडर’ के जरिए बिजली उपलब्ध कराने के लिए करीब 5827 करोड़ रुपए के बजटीय आवंटन की मंजूरी दी गई है। बिहार सरकार ने आगामी वर्ष 2022 तक करीब 10 लाख मीट्रिक टन की नई भंडारण क्षमता जोड़ने का लक्ष्य रखा है, और इसकी बिजली जरूरतों को सौर ऊर्जा के जरिए पूरा किया जा सकता है। 

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