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बदलाव : स्वादिष्ट नाश्ते के साथ रोजगार का बेहतर जरिया बन गया है मुड़ी का उत्पादन, जिले में दो दर्जन फैक्ट्रियों का हो रहा है संचालन

बदलाव : स्वादिष्ट नाश्ते के साथ रोजगार का बेहतर जरिया बन गया है मुड़ी का उत्पादन, जिले में दो दर्जन फैक्ट्रियों का हो रहा है संचालन

KATIHAR : नाश्ता शव्द भले ही ब्रेकफास्ट के नाम पर आधुनिक  जरूर हो गया है लेकिन आज भी सुबह और शाम जब हल्का नाश्ता की बात हो तो मुड़ी आज भी बहुत सारे लोगों का पसंदीदा विकल्प होता है और जब बात बंगाल से सटे बिहार के सीमांचल इलाके की करें तो इस इलाके में आज भी नाश्ता के लिए सबसे पहले हर तबका के लोग मुड़ी को ही पसंद करते हैं, इसी डिमांड को देखते हुए कभी बंगाल के मुड़ी पर आश्रित रहने वाले है। यह इलाका अब केवल बंगाल के बर्धमान से स्पेशल मुड़ी के चावल ला कर मुड़ी उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बन गया है।  

नुकसान की संभावना कम

शहर के नया टोला में ही लगभग दस फैक्ट्री है, वहीं पूरे जिले में दो दर्जन से अधिक मुड़ी के फैक्ट्री है, बड़ी बात यह है कि अधिक मात्रा में डिमांड के कारण इसकी बाजार की कोई दिक्कत नहीं है, स्थानीय बाजार और आसपास के बाजार में बड़े पैमाने पर इस घरेलू उद्योग में निर्मित मुड़ी अच्छे दामों में बिक जाता है, रोजगार सृजन के दिशा में भी ये अब एक बेहतर विकल्प हो गया है। हर छोटे से छोटे मुड़ी उद्योग में कम से कम 10 लोगों से अधिक लोगों को रोजगार भी मिला हुआ है। यहां पैकिंग से लेकर उसके ढुलाई तक के लिए पूरी व्यवस्था की गई है। 

मुड़ी  उत्पादन के मामले में हब  बनते जा रहे कटिहार के नया टोला स्थित एक मुड़ी फैक्ट्री के मालिक ने इससे जुड़ी पूरी जानकारी देते हुए कहा कि ये रोजगार का एक अच्छा विकल्प है,अब तो ये रोजगार सृजन का माध्यम बन गया है। मुड़ी फैक्ट्री चलानेवाले लोगों ने बताया कि यहां पिछले कुछ सालों में इसका बाजार बढ़ा है। उन्होंने कहा कि अब जिले में बाहर से इसे मंगाने का काम बंद कर दिया गया है। यहां बंगाल से सिर्फ चावल मंगाई जाती है। जबकि पहले ऐसा नहीं था। वहीं फैक्ट्री में काम करनेवाली महिलाओं ने बताया कि घर में ही उन्हें काम मिल रहा है। जिससे परिवार को भी आर्थिक सहायता प्रदान कर पाती हैं।

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