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मुख्यमंत्री और मंत्री आमने-सामनेः रामसूरत राय का ऐलान- जहां 'मंत्री' का कोई स्वतंत्र 'वजूद' नहीं वहां विभाग चलाना बेवकूफी

मुख्यमंत्री और मंत्री आमने-सामनेः रामसूरत राय का ऐलान- जहां 'मंत्री' का कोई स्वतंत्र 'वजूद' नहीं वहां विभाग चलाना बेवकूफी

PATNA:  बिहार में एनडीए की राजनीति में भूचाल आ गया है। शनिवार को अंचलाधिकारियों के स्थानांतरण आदेश को रद्द कर दिया गया था। बताया गया है कि तबादला में गड़बड़ी की वजह से मुख्यमंत्री ने संज्ञान लिया। इसके बाद बीजेपी कोटे से राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री रामसूरत राय के स्थानांतरण आदेश को रद्द किया गया है। अब मंत्री रामसूरत राय ने ऐलान कर दिया कि मंत्री रहने से कोई फायदा नहीं। जहां पर मंत्री का कोई स्वतंत्र अस्तित्व ही नहीं,वहां विभाग चलाने से कोई फायदा नहीं।

मंत्री का खुला ऐलान 

न्यूज4नेशन से बातचीत में मंत्री रामसूरत राय ने कहा कि हम से अधिक जनता दरबार किसी ने नहीं लगाया होगा. 20 महीने में हमने 20 दिन भी अपने घर का काम नहीं किया है . आज हम ऐलान करते हैं कि आज से मैं कहीं भी जनता दरबार नहीं करूंगा. जनता की समस्या नहीं सुनूंगा. विभाग के अंदर जब मंत्री को स्वतंत्र अधिकार ही नहीं मिल सकता है तो विभाग चलाना बेवकूफी है । मुजफ्फरपुर में बातचीत में कहा कि अंचलाधिकारियों के स्थानांतरण में हमने कोई गड़बड़ी नहीं की । जहां तक सीओ के स्थानांतरण आदेश को रोक कर समीक्षा करने की बात है तो इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विशेषाधिकार है.वे कभी भी समीक्षा कर सकते हैं. उनका आदेश आया कि कैंसिल करके इसकी समीक्षा हो. समीक्षा में पूरी बात आ जाएगी. हमने कोई ऐसा गलत काम नहीं किया है. हमने विधायकों का सम्मान किया था. अगर विधायकों का सम्मान करना गलत था तो ट्रांसफर भी गलत है .अगर सही था तो स्थानांतरण सही था . हमने जेडीयू-बीजेपी व अन्य को मिलाकर  80 विधायकों का सम्मान किया था. राजनीति में पैरवी सुनी जाती है,पैरवी आम बात है.


मैं पद का लालायित नहीं-मंत्री 

 एनडीए के विधायकों ने मुख्यमंत्री के समक्ष कहा था कि हम लोगों की बात नहीं सुनी जाती है. सीओ-बीडीओ के ट्रांसफर में सिफारिश नहीं सुनी जा रही. मुख्यमंत्री ने कहा था कि सिफारिश को देख लेना है. उन्होंने कहा था कि कोई परेशानी होगी तो हम देख लेंगे .अब वही परेशानी आई है, जिसे मुख्यमंत्री देख रहे हैं. अगर विधायकों का सम्मान वाजिब है तो बात रह जाएगी, नहीं तो जो सरकारी व्यवस्था है वह होगा. रामसूरत राय ने कहा कि लोग तरह-तरह के मायने लगाते हैं. लोकतंत्र में हर किसी को सोचने का विशेषाधिकार है. जनता सब कुछ जान और समझ रही है. मुख्यमंत्री का जो काम है वह कर रहे हैं. मुख्यमंत्री का जो सपना है कि राजस्व विभाग के अंदर जमीन की समस्या का निपटारा होगा तब जाकर समस्या कम होगी। वे जब अकेले में होते हैं तो अच्छा सोचते हैं. लेकिन मेरा सौभाग्य या दुर्भाग्य जो कहिए, इस विभाग में भू माफियाओं का कब्जा है. उसी भू माफियाओं का कमर तोड़ने के लिए हम 20 महीने से लगे हुए हैं. कई सारे नियम कानून लाए हैं. कई भू माफियाओं पर बुलडोजर चले हैं. मठ मंदिर की जमीन को वापस लाने की बात हो रही है. भू माफियाओं का दाल नहीं गल रहा है. कर्मचारी हो या अधिकारी हो या फिर आईएएस अफसर की लॉबी हो या फिर नेताओं की बड़े-बड़े लोग की निगाह जमीन पर है. जब अपने हिसाब से सीओ की पोस्टिंग नहीं होती है,उनकी दाल नहीं गलती है तब वह बेचैन हो जाते हैं.इसके बाद एक लाइन से कहने लगते हैं कि मंत्री गलत कर रहे हैं. मैं स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं, मैं पद का लालायित नहीं हूं. विधायक अपनी बात मुख्यमंत्री से कहें .अपना सीओ -बीडीओ लेना हो मुख्यमंत्री से लें. हमने ट्रांसफर कर दिया है. 

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