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देश को आजाद कराने के लिए जेल में गुजारा बचपन, खो दिया परिवार, फिर भी नहीं मिला स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा

देश को आजाद कराने के लिए जेल में गुजारा बचपन, खो दिया परिवार, फिर भी नहीं मिला स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा

ROHTAS : आज पूरा देश स्वतंत्रता दिवस की जश्न में डूबा है। नेता मंच से बड़े-बड़े भाषण दे रहे है। आजादी के दीवानों को याद किया जा रहा है। उनकी वीरता की गाथा सुनाई जा रही है। लेकिन देश की आजादी में अपना बचपन और परिवार खोने वाले कई ऐसे लोग हैं जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। ऐसे लोगों को बस एक ही टीस है कि उन्हें स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा तक नहीं मिला। हम आपको एक ऐसे व्यक्ति की व्यथा बताने जा रहे है, जिसने देश की आजादी के लिए अपना बचपन जहां जेल में गुजारा, वहीं अपने परिवार को भी खो दिया। 

ये हैं रोहतास जिले के डेहरी ऑन सोन के मोहन बीघा के निवासी अवधेश कुमार है। आजादी की लड़ाई में अपने बचपन को कुर्बान कर देने वाले अवधेश को आजतक स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा नहीं मिला। अवधेश कुमार अपनी व्यथा को जाहिर करते हुए बताते है कि वर्ष 1945 में जब आजादी की लड़ाई परवान पर थी और देश आजाद होने के मुहाने पर था। तो उस समय इनके पिता स्वतंत्रता सेनानी भगवान प्रसाद सासाराम के जेल में बंद थे। अपने पिता को जेल से निकालने निकालने की छटपटाहट उनके दिल में थी। उन दिनों वह अपने क्रांतिकारी पिता के लिए जेल में खाना लेकर जाते थे। 

पिता के क्रांतिकारी दोस्तों ने एक तरकीब निकाली तथा खाने की टिफिन में जर्मन मेड पिस्टल छुपाकर जेल के अंदर पहुंचाने की रणनीति बनाई। लेकिन जब वह टिफिन में पिस्टल लेकर खाना पहुंचाने जेल पहुंचे तो पुलिस चेकिंग में पकड़े गए। उन्हें  बचपन में ही गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में उन्हें जमानत मिली।उसके बाद जेल से निकलते ही फिर से आजादी की लड़ाई में क्रांतिकारियों के बाल सेना में शामिल होकर सक्रिय हो गए।

 देश आजाद हुआ, उनके पिता को तो स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा मिला। लेकिन अपनी बचपन में ही जेल जाकर आजादी की लड़ाई में सहभागिता देने वाले अवधेश को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा आजतक नहीं मिल सका। अवधेश कुमार आजतक उस कोड़े को संभाल कर रखे हुए है जिनसे उन्हें पीटा गया था। कोड़े दिखाते हुए वे बताते है कि इस कोड़े से अंग्रेजी सेना की पुलिस ने उनकी बेरहमी से पिटाई की थी और फिर कोड़े को उनके उपर डालकर चले गये थे। 

अवधेश के पड़ोसी और उनके बचपन के साथी विष्णु दत्त तिवारी कहते है कि अवधेश ने देश की आजादी के लिए अपना सबकुछ गवां दिया। सरकार स्वतंत्रता सेनानियों को कई तरह की सुविधाए देती है, लेकिन इन्हें इससे महरुम रखा गया है। आज ये इतनी गरीबी की जिंदगी जीने को मजबूर है जिसे वयां नहीं किया जा सकता।

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