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हाजीपुर लोकसभा से चुनाव लड़ सकते हैं चिराग पासवान, लालू के लिए विधानससभा सीट छोड़ने वाले भोला राय के शोकाकुल परिजनों से की मुलाकात

हाजीपुर लोकसभा से चुनाव लड़ सकते हैं चिराग पासवान, लालू के लिए विधानससभा सीट छोड़ने वाले भोला राय के शोकाकुल परिजनों से की मुलाकात

पटना. लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान शनिवार को राघोपुर में बिहार सरकार के पूर्व मंत्री स्व. भोला राय के शोकाकुल परिजनों से मुलाकात की और सांत्वना दी. उदय नारायण राय उर्फ भोला राय का दो दिन पहले निधन हुआ था. उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को हुआ था. भोला राय का रामविलास पासवान से भी निकटस्थ संबंध था. रामविलास लम्बे अरसे तक हाजीपुर से चुनाव जीते और इस दौरान भोला राय के साथ उनके मधुर और स्नेहिल संबंध थे. इसी को लेकर चिराग पासवान ने भोला राय के परिजनों से मुलाकात की. 

उनकी इस मुलाकात के कई मायने लगाए जा रहे हैं. हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में ही राघोपुर विधानसभा भी आता है. ऐसे में उनके राघोपुर जाने को एक प्रकार से आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 से भी जोड़कर देखा जा रहा है. मौजूदा समय में हाजीपुर से चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस सांसद हैं. संभवना जताई जा रही है कि आगामी लोकसभा चुनाव में चिराग अपने चाचा को हाजीपुर में पटखनी देने के लिए खुद मैदान में उतर सकते हैं. इसलिए वे अभी से उन लोगों से नजदीकियां बनाने में लगे हैं जिनके नाम पर हाजीपुर से अपनी पकड़ बनाई जा सकती है. 

दरअसल, राघोपुर में जिस भोला राय के शोकाकुल परिजनों से चिराग ने मुलाकात की वे बिहार में लालू-राबड़ी सरकार के दौरान मंत्री थे. राघोपुर विधानसभा की सीट से जीतते आ रहे भोला राय ने 1995 में अपनी सीट लालू यादव के लिए छोड़ दी थी. बाद में राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव भी उसी सीट से जीते. शुक्रवार को उनके अंतिम संस्कार में तेजस्वी यादव भी शामिल हुए थे. वहीं अब चिराग ने शोकाकुल परिजनों से मुलाकात की. 

हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में हाजीपुर, लालगंज, महुआ, राजा पकारी, राघोपुर और महनारी विधानसभा क्षेत्र आता है. हाजीपुर एक सुरक्षित लोकसभा सीट है. यहां से रामविलास पासवान ने 1977 से 2019 तक इस सीट पर दबदबा बनाए रखा था. वे यहां से आठ बार जीते और 1984 और 2009 में केवल दो बार हारे. 2019 में उन्होंने अपने छोटे भाई पशुपति कुमार पारस के लिए सीट खाली की. 1977 में, पासवास को 89.3% वोट मिले, जो शायद अब तक का सबसे अधिक मतदान प्रतिशत था, और उन्होंने 4.24 लाख वोटों के बहुमत हासिल करने का एक रिकॉर्ड (टूटने के बाद) भी स्थापित किया. ऐसे में अपने पिता के राजनीतिक जीवन के सबसे अहम लोकसभा क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाने के लिए चिराग पासवान अभी से तैयारी में लग सकते हैं. हालांकि भोला राय को श्रद्धांजली देने को फ़िलहाल एक निजी मुलाकात के रूप में बताया जा रहा है. लेकिन इसके दीर्घकालिक राजनीतिक मायने हो सकते हैं. 


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