PATNA: लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान चले थे नीतीश कुमार के घर में आग लगाने लेकिन उनकी अपनी झोपड़ी ही खाक हो गई। ऐसी बड़ी हार लोजपा को आज तक नहीं मिली थी। चिराग पासवान और उनके रणनीतिकारों की पूरी तरह से हवा निकल गई। चिराग पासवान जिस रणनीतिकार की सलाह पर नीतीश कुमार को सत्ता से बेदखल करने की चाल चले थे सबको बिहार की जनता ने पानी-पानी कर दिया। चिराग ने अपने रणीतिकार की सलाह पर जो भी भविष्यवाणी की वह सब फेल कर गई। चिराग चले थे नीतीश कुमार को जेल भेज कर बीजेपी के साथ सरकार बनाने लेकिन वे न घर के रहे न घाट के। नीतीश कुमार को न जेल भेज भेज सके और न बीजेपी के साथ मिलकर सरकार। तेजस्वी यादव को सीएम कुर्सी तक पहुंचाने में भी चिराग कामयाब नहीं हुए .जानकार बताते हैं कि चिराग के रणनीतिकारों ने ही उन्हें बिहार की राजनीति से वर्तमान में पूरी तरह से आउट कर दिया है। चिराग पासवान और उनके खास रणनीतिकार की हवा निकलने के बाद पार्टी के कई नेता काफी खुश हैं और कह रहे कि यह तो होना ही था . वे सभी नेता समय की प्रतीक्षा कर रहे।
चिराग ने अपनी ही पार्टी की डूबो दी लुटिया
चिराग पासवान ने इस बार 135 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे,लेकिन सिर्फ एक सीट पर जीत मिल सकी। जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव 2020 में लोजपा ने अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया है. रामविलास पासवान ने 2000 ई. में लोजपा का गठन किया था। इस पार्टी को 2005 के फऱवरी महीने में सबसे अधिक 29 सीटें आई थी और स्थिति यह थी कि बिना लोजपा के किसी गठबंधन को सरकार बनती नहीं दिख रही थी। रामविलास पासवान के हाथ में सत्ता की चाबी मिली थी लेकिन वे अल्पसंख्यक सीएम के नाम पर सत्ता की चाबी लेकर उड़ गए। पासवान की वजह से 2005 में मध्यावधि चुनाव हुए,अक्टूबर 2005 में हुए चुनाव में लोजपा को बिहार की जनता ने हैसियत बता दी और सिर्फ 9 सीटों पर संतोष करना पड़ा। लोजपा को 2010 में 3 और 2015 में सिर्फ 2 सीटें मिली। लेकिन इस बार तो सिर्फ 1 सीट पर संतोष करना पड़ा है।
साल सीट वोट % सीट
फरवरी 2005 178 12.62 29
सितंबर-अक्टूबर 2005 203 11.10 10
2010 75 6.74 03
2015 42 4.80 02
2020 : 135 5.66 01
नीतीश कुमार को जेल भेजने की कही थी बात
लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने चुनाव में 'असंभव नीतीश' का नारा दिया था। यह उनका पहला चुनाव था। बिना रामविलास पासवान के चुनावी रण में उतरे चिराग ने 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट विजन डाक्यूमेंट' के बल पर नीतीश कुमार को सत्ता से बेदखल करने का हुंकार भरा था. रामविलास पासवान के बाद चिराग का यह पहला चुनाव था और राजग से अलग होकर अकेले चुनाव लडऩे का उनका बड़ा फैसला था।
लोजपा की झोपड़ी में लगी आग!
भाजपा और जदयू को निर्णायक बहुमत मिला है। भाजपा के साथ लोजपा की सरकार बनाने का दावा करने वाले चिराग अपने पहले चुनाव में राजनीतिक फैसला लेने में चूक गए। वे जनता का मन-मिजाज को भांप नहीं पाए और केवल नीतीश कुमार का विरोध करते रहे। यह बात मतदाताओं को नागवार गुजरी और एकबार फिर भाजपा-जदयू पर भरोसा जताया।
राजनीति के नौसिखुआ खिलाड़ी साबित हुए चिराग
चिराग पासवान की हठधर्मिता ने लोजपा की झोपड़ी में ही आग लग गई।क्यों कि,चले थे सरकार बनाने लेकिन 2015 में बीजेपी के सहयोग से जो लोजपा 2सीटें जीती थी वह भी इस बार गवां दिया । लोजपा ने जदयू को दो दर्जन सीटों पर नुकसान जरूर किया है। खास बात यह है कि लोजपा को चुनाव में अच्छे प्रदर्शन की जो उम्मीद थी, वह असफलता में बदल गई। चुनाव विश्लेषक कह रहे हैं कि लोजपा के इस खराब प्रदर्शन के पीछे जो बड़ी वजह मानी जा रही है, वह जनता के बीच 'खुद' का भरोसा न जगा पाना है। अब बड़ा सवाल यही है कि क्या वाकई में चिराग राजनीति के नौसिखुआ खिलाड़ी साबित हुए? हालांकि चुनाव परिणाम आने के बाद चिराग पासवान ने कहा था कि उनकी पार्टी ने इस चुनाव में काफी बेहतर प्रदर्शन किये हैं। बिहार की जनता ने आशीर्वाद दिया है। कुछ समय के बाद वे बिहार में धन्यवाद यात्रा निकालेंगे।