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औरंगाबाद में सिविल सर्जन के दावों की खुली पोल, जिले में कुकुरमुत्ते की तरह चल रहे अवैध हॉस्पिटल, नियमों की उड़ रही सरेआम धज्जियां

औरंगाबाद में सिविल सर्जन के दावों की खुली पोल, जिले में कुकुरमुत्ते की तरह चल रहे अवैध हॉस्पिटल, नियमों की उड़ रही सरेआम धज्जियां

औरंगाबाद. औरंगाबाद के सिविल सर्जन सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. कुमार वीरेंद्र प्रसाद का दावा है कि अवैध अस्पतालों और लैब के संचालन की रोकथाम के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के दौरान पकड़ में आने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जा रहा है। इस दावें के विपरीत पूरे जिले में कुकुरमुत्ते की भांति अवैध नर्सिंग होम खुले हैं और सरकारी नियमों को ठेंगा दिखाते हुए सीना ठोक कर इइका संचालन हो रहा है।

सरकारी आंकड़ों में औरंगाबाद में महज 76 निजी क्लीनिक व लैब चल रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि इन आंकड़ों से कई गुणा अवैध नर्सिंग होम और लैब का संचालन धड़ल्ले से हो रहा है। अन्य जगहों की बात छोड़ फिलहाल सिविल सर्जन कार्यालय के इर्द गिर्द ही नजर दौड़ाए तो आसपास में ही कई अवैध नर्सिंग होम चल रहे हैं। सिविल सर्जन कार्यालय के ठीक पीछे ही क्लब रोड में सोशल क्लब से महज तीन सौ मीटर की दूरी पर मदरसा इस्लामियां के पास मातृ सेवा सदन के नाम से एक अवैध नर्सिंग होम चल रहा है।

इस नर्सिंग होम के आसपास कई लोहा लक्कड़ की दूकाने हैं, जहां लोहे के पीटे जाने से निकलने वाली टनटन की कर्कश आवाज इसके अंदर साफ सुनाई पड़ती है। इस कर्कश आवाज का यहां भर्ती मरीजों पर क्या असर पड़ता होगा, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। हद तो यह है कि नर्सिंग होम के बाहर डॉक्टर का कोई बोर्ड तक नहीं लगा है। अस्पताल के अंदर दो बोर्ड रखे है, जिसमें डॉ. एसके रंजन और एमके शर्मा  का नाम अंकित है। दोनों ही सरकारी चिकित्सक है।

इस नर्सिंग होम में जब मीडिया की टीम पहुंची तो वहां सिर्फ डॉ. एसके रंजन मिले। उन्होंने बिना रजिस्ट्रेशन के नर्सिंग होम चलाने के बारे में पूछे जाने पर कहा कि वे प्रैक्टिशनर है। वे यहां सिर्फ ओपीडी चलाते हैं और ओपीडी चलाने के लिए रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं है। यहां ऑपरेशन नहीं किया जाता है। वहीं दावे के विपरीत इस नर्सिंग होम में एक ऐसी महिला मिली, जिसे ऑपरेशन से एक दिन पहले ही बच्चा हुआ है। महिला ने बताया कि उसका यही ऑपरेशन हुआ है, लेकिन किस डॉक्टर ने ऑपरेशन किया, वह उन्हें नहीं जानती है।

मतलब साफ कि डॉ. रंजन सफेद झूठ बोल रहे हैं और यहां ऑपरेशन धड़ल्ले से किया जा रहा है। इस अस्पताल में कुछ आशा कार्यकर्ता भी नजर आई, जो मरीज को लेकर यहां आई थी। पूछे जाने पर आशा कार्यकर्ता ने कहा कि वह बगल के मेडिकल से दवा लेने आई है। दुकान में भीड़ होने के कारण वह यहां चली आई, लेकिन वहां उसके हाव भाव से साफ लगा कि वह किसी मरीज को लेकर ही यहां आई थी। इस नर्सिंग होम का मामला तो महज बानगी भर है और पूरे जिले में ऐसे दर्जनों अवैध नर्सिंग होम धड़ल्ले से चल रहे हैं। ऐसे में देखना यह होगा कि सिविल सर्जन महोदय इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं, या यह नर्सिंग होम सीना ताने पूर्व की भांति चलता रहता है।

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