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नालंदा विश्वविद्यालय में छठे धर्म-धम्म सम्मेलन को सीएम नीतीश ने किया संबोधित, कहा फिर दुनिया भर से शिक्षा ग्रहण करने आयेंगे छात्र

नालंदा विश्वविद्यालय में छठे धर्म-धम्म सम्मेलन को सीएम नीतीश ने किया संबोधित, कहा फिर दुनिया भर से शिक्षा ग्रहण करने आयेंगे छात्र

NALANDA : नालंदा विश्वविद्यालय, राजगीर में आयोजित तीन दिवसीय (7-9 नवंबर) छठे अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन-2021 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संबोधित किया। सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन दिनों तक चलने वाले इस धर्म-धम्म ट्रेडिशंस इन द बिल्डिंग पोस्ट कोविड वर्ल्ड ऑर्डर में विभिन्न देशों के शामिल लोग द अपनी-अपनी बातें रखेंगे। इस सम्मेलन में बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा हो रही है, जिसका फायदा भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया को भी मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड एक विचित्र तरह की बीमारी है जिसकी चपेट में पूरी दुनिया थी। आज तक ऐसी बीमारी नहीं हुई। इस प्रकार की बीमारी के बारे में न बुजुर्गों से कभी सुनने को मिली और न ही इतिहास में पढ़ने को। कोविड महामारी से बचाव को लेकर प्रधानमंत्री का हमेशा गाइडलाइन मिलता रहा। सभी राज्यों से भी बातचीत होती रही। दो फेज खत्म हो गया, लेकिन तीसरे राउंड का खतरा रहता है। वर्ष 2018 में भी यहां आयोजित चौथे कार्यक्रम में मैं शामिल हुआ था। उस कार्यक्रम में तत्कालीन राष्ट्रपति भी शामिल हुए थे। इस धर्म-धम्म सम्मेलन में कोविड महामारी से बचाव को लेकर चर्चा होगी की कैसे इस समस्या का समाधान निकाला जाए। पूरी दुनिया मे इतना टीकाकरण नहीं हुआ, जितना अब तक भारत में हो चुका है। भारत में 107 करोड़ से अधिक लोगों का टीकाकरण हो चुका है। बिहार में 5 करोड़ से ज्यादा लोगों को पहला डोज लगाया जा चुका है और 2 करोड़ लोगों को दूसरे राउंड का टीकाकरण हो चुका है। 28 तारीख को और आज भी टीकाकरण के लिए विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। कोविड टीकाकरण की शुरुआत इसी साल 18 जनवरी से हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरी दुनिया दो साल तक कोरोना की चपेट में थी। अब देखना है कि यह आगे न हो। सम्मेलन में इस पर गंभीरता से चर्चा की जाएगी। यह नेचुरल नहीं बिल्कुल आर्टिफिशियल बीमारी है। इसकी शुरुआत चीन के वुहान से हुई। चीन जितनी बात बताएगा लोग तो उतना ही न जानेंगे। मुझे पूरा भरोसा है कि इस विषय पर सम्मेलन में सकारात्मक चर्चा होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब 26 नवंबर 2005 को हमलोगों को काम करने का मौका मिला तो हमने वर्ष 2007 में अंतर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय को पुनस्थापित करने का निर्णय लिया। 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति ने इसका शिलान्यास किया था। आज मुझे यहां आकर देखने के बाद काफी खुशी हो रही है। मैं तो चाहूंगा कि शेष काम भी जल्दी से पूरा हो जाए। उन्होंने कहा कि यह कोई सामान्य विश्वविद्यालय नहीं है। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में दुनिया भर के दस हजार से अधिक छात्र अध्ययन करते थे। हम चाहते हैं कि यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर का हो। काफी प्रयास के बाद हमने यहां स्थल का चयन किया था। यह विश्वविद्यालय अंतर्राष्ट्रीय स्तर का होगा और पुनः दुनिया भर के लोग यहां पढ़ेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगीर एक पौराणिक जगह है। दुनिया के एक बड़े हिस्से की यहां पंच पर्वत के बीच राजधानी थी। महात्मा बुद्ध ज्ञान प्राप्ति के क्रम में यहां से गुजरे थे और ज्ञान प्राप्ति के बाद यहां आकर लोगों को उपदेश देते थे। यहां के पर्वतों पर भगवान महावीर का सबसे ज्यादा मंदिर है। सूफी संत मखदूम साहब यहां के पर्वतों पर 22 वर्षों तक अध्ययन किया था, जहां मखदूम कुंड अवस्थित है। जरासंघ का अखाड़ा भी यही है। गुरुनानक देव जी यहां आए और लोगों के आग्रह पर उन्होंने यहां शीतल कुंड स्थापित किया था। हर तीन साल बाद यहां मलमास मेला लगता है, जिसमें मान्यता है कि इस दौरान पूरे एक माह तक 33 करोड़ देवी-देवता प्रवास करते हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा कॉन्फ्रेंस कीजिये कि अपने देश के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए उपयोगी हो। आर्टिफिशियल कोरोना का समाधान निकालना नितांत आवश्यक है। सतर्क एवं सजग रहना बहुत जरूरी है, तभी लोगों का बचाव होगा। हम सभी को हमेशा यही प्रयत्न करना चाहिए कि समाज में प्रेम एवं सद्भाव का माहौल कायम रहे। 

कांफ्रेंस को विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० सुनैना सिंह ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, सांसद कौशलेंद्र कुमार, निदेशक इंडिया फाउंडेशन ललिता कुमार मंगलम, निदेशक इंडिया फाउंडेशन धुप कटोच, इंडिया फाउंडेशन के पूर्व निदेशक राम माधव, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, आयुक्त पटना प्रमंडल संजय कुमार अग्रवाल, नालंदा के जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह, पुलिस अधीक्षक हरि प्रसाथ एस० सहित अन्य अधिकारीगण एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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