सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आम लोगों की सुविधाओं के लिए अधिकारियों से सीधा संपर्क करने के लिए जो सरकारी मोबाइल नंबर दिया गया जाता है उसे पदाधिकारी बात करने से बचने या सही जानकारी नहीं देने की चाहत रखते हुये पीडि़तों ,आवेदकों ,सूचना दाताओं का मोबाइल नंबर ब्लैक लिस्टेड में डाल देते हैं. जिसके बाद उनकी परेशानी बढ़ जाती है.
मामले में एक पत्रकार के लिखित शिकायत पर सीएम नीतीश कुमार ऐसे अधिकारियों, पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए मुख्य सचिव ,कैबिनेट सचिव और डीजीपी को निर्देश दिया हैं.
पत्र में जिक्र है कि सरकारी मोबाइल नंबर आम लोगों की सहूलियत के लिए होता है ताकि जरुरत पड़ने पर लोग अपनी शिकायत सीधे तौर पर अधिकारियों, पदाधिकारियों से कर सके. मोबाइल बिल का भुगतान सरकार करती हैं लिहाज़ा इसे निजी नहीं बनाने के लिए भी कहा गया है.
गौरतलब है कि अफसरों द्वारा मोबाइल फोन नहीं उठाये जाने का मामला बिहार विधान मंडल में भी कई बार उठ चूका है जिसमें ये बात कही गई है कि अधिकारी विधायकों कभी फोन नहीं उठाते हैं. मामले में कई बार एडवाइजरी जारी करने की बात भी कही जाती रही है.