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नीतीश जी,आपके ड्रीम प्रोजेक्ट का जानी दुश्मन बन गया है सरकार का यह दो विभाग,पत्र में हीं सबकुछ लिखा है मुख्यमंत्री जी....

नीतीश जी,आपके ड्रीम प्रोजेक्ट का जानी दुश्मन बन गया है सरकार का यह दो विभाग,पत्र में हीं सबकुछ लिखा है मुख्यमंत्री जी....

PATNA: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जल-जीवन-हरियाली योजना में पानी की तरह पैसा बहा रहे।लेकिन सरकार के अधिकारी हीं उनके मंसूबों पर पानी फेर रहे।पथ और भवन निर्माण विभाग पर्यावरण के दुश्मन साबित हो रहा है। जिस तरीके से बड़े-बड़े वृक्षों को विकास के नाम पर काटा जा रहा उससे पर्यावरण को भारी क्षति उठानी पड़ रही है।नीतीश सरकार के दो विभाग पर्यावरण के इस कदर दुश्मन बने हैं कि पत्राचार के बाद भी नींद से नहीं जाग रहे।वन एवं पर्यावरण विभाग इन दोनों विभागों को पत्र पर पत्र भेज आगाह कर रहा है लेकिन भवन और पथ निर्माण विभाग के इंजीनियर कहां मानने वाले ।इन दोनों विभाग के इंजीनियर सड़क और भवन निर्माण के नाम पर अंधाधुंध पेंड़ों की कटाई करवा रहे।

हरियाली के नाम पर अरबो रू खर्च किए जा रहे

 बता दें कि जल-जीवन-हरियाली योजना के तहत सरकार अगले 3 सालों में 24 हजार 500 करोड़ रुपये खर्च करने वाली है, ताकि राज्य में हरियाली लाई जा सके. पर्यावरण विभाग की तरफ से भी लगातार नए पेंड़ लगाए जा रहे हैं।लेकिन नीतीश सरकार के ये दो विभाग पेंड़ों को बचाने की बजाए तबाह करने में लगे हैं।

न्यूज4नेशन को वन एवं पर्यावरण विभाग का वो एक्सक्लूसिव लेटर हाथ लगा है।विभाग के प्रधान सचिव पिछले 6 महीनों में पथ निर्माण विभाग और भवन निर्माण विभाग के अधिकारियों को कई दफे पत्र लिखकर पुराने पेड़ों को बचाने की गुहार लगा चुके हैं।बावजूद इसके सत्ता का गलियारा सचिवालय से लेकर पंचायत और गांवों तक पेंड़ों की कटाई बदस्तूर जारी है.वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव ने पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव को जो पत्र लिखा है उसमें कहा है कि सड़क निर्माण के दौरान असावधानी के कारण पुराने पेड़ों को क्षति पहुंचाई जा रही है. विभाग ने यह भी लिखा है कि कई बार लेटर लिखने के बावजूद पथ निर्माण विभाग पुराने पेड़ों को बचाने का कोई रास्ता नहीं निकाल रहा है.

भवन निर्माण विभाग पर भी गंभीर सवाल

पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने भवन निर्माण विभाग पर भी सवाल खड़े किए हैं।पत्र में लिखा गया है कि सरकारी परिसरों में भवन निर्माण, आंतरिक सड़क निर्माण और फुटपाथ निर्माण के दौरान असावधानी से वृक्षों की क्षति पहुंचाई जा रही है.

बड़ा सवाल यही है कि पर्यावरण बचाने को लेकर पानी की तरह पैसे बहाने के बाद भी अगर सरकार हीं इस कदर लापरवाह बनी है तो फिर क्या होगा।मुख्यमंत्री जल जीवन हरियाली को लेकर बिहार हीं नहीं बल्कि देश में डंका बजा रहे ।सरकार की तरफ से कहा जा रहा कि बिहार ने पर्यावरण बचाने को लेकर जो पहल की है उससे बाकी राज्यों को सबक लेने की जरूरत है।लेकिन सरकार के हीं दो विभाग सीएम नीतीश के अभियान को पलीता लगाने में जुटे हैं।ऐसे में सवाल यही है कि पर्यावरण बचेगा कैसे ?

लेटर देखिए.....



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