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जब CM नीतीश के 'पिता' को कांग्रेस ने दिया था विधानसभा चुनाव में धोखा, रामलखन ने कैसे लिया फरेब का बदला..पढ़िए पूरी रिपोर्ट....

जब CM नीतीश के 'पिता' को कांग्रेस ने दिया था विधानसभा चुनाव में धोखा, रामलखन ने कैसे लिया फरेब का बदला..पढ़िए पूरी रिपोर्ट....

PATNA: राजनीति की बिसात पर साम दाम दंड भेद, झूठ और फरेब की ताकत का बोलबाला हमेशा से रहा है. हम आज आपको एक ऐसी राजनीतिक कहानी बताने जा रहे हैं जिससे आपको मालूम चलेगा कि कैसे वर्तमान सीएम नीतीश कुमार के पिता रामलखन सिंह को कांग्रेस ने दो-दो दफे आश्वासन देकर टिकट नहीं दिया।

सीएम नीतीश के पिता रामलखन सिंह क्या राजनीति करते थे?

सीएम नीतीश कुमार के पिता रामलखन सिंह  स्वतंत्रता सेनानी के साथ-साथ एक देशी यानी आयुर्वेद के चिकित्सक थे। आर्यसमाजी रामलखन सिंह अपने कॉलेज के जमाने से हीं स्वंत्रता आंदोलनों में भाग लेने लगे थे। कांग्रेस की गतिविधियों में भाग लेने की वजह से उन्हें कॉलेज से निष्कासित कर दिया गया था। 

देशी चिकित्सा में माहिर थे रामलखन बाबू

देशी चिकित्सा अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले रामलखन सिंह गांधी जी द्वारा शुरू किए गए 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान देशी चिकित्सा करना भी छोड़ दिया ।वे पूरी तरह से आंदोलन में रम गए।इस दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जेल से बाहर आने के बाद भी वे लगातार संघर्षपूर्ण रहे। रामलखन सिंह सामाजिक समानता के पक्षधर थे। सब कुछ करते हुए वे कांग्रेसी बने रहे।

रामलखन को कांग्रेस ने कैसे दिया धोखा....

आजादी के बाद लोकसभा चुनाव व विधान सभा चुनाव की   तैयारी में  कांग्रेस के बड़े नेता लगे हुए थे। वर्चस्व की लड़ाई उस समय भी जोरों पर थी। अगड़ी जाति के लीडर दूसरे जमात को हावी होने देना नहीं चाहते थे। इधर रामलखन सिंह अपने कार्यक्षेत्र बख्तियारपुर या फिर पूर्वी पटना से लोकसभा या फिर बख्तियारपुर विधानसभा से  चुनाव लड़ना चाहते थे। 1951- 52 के चुनाव को लेकर उम्मीदवारों की चुनावी सूची तैयार की जा रही थी। उधर अगड़ों का गुट किसी कीमत पर दोनों जगहों से अपने प्रत्याशियों को लड़ाने पर आमादा था। इसका परिणाम यह हुआ कि 1951-52 के चुनाव के लिये बनने वाली उम्मीदवारों की सूची से सीएम नीतीश के पिता रामलखन सिंह का नाम काट दिया गया। 

पूर्वी पटना यानी बाढ़ लोकसभा से भूमिहार प्रत्याशी तारकेश्वरी सिन्हा को और बख्तियातपुर विधानसभा से कायस्थ प्रत्याशी लाल बहादुर शास्त्री की बहन सुंदरी देवी को टिकट दिया गया। दोनो प्रत्याशी स्वतंत्रता सेनानी रह चुकी थीं। लेकिन जातीय वर्चस्व में रामलखन सिंह का टिकट कट गया। इससे रामलखन सिंह काफी दुःखी हुए। लेकिन उन्हें अगले चुनाव में टिकट देने की बात कहकर मना लिया गया। रामलखन सिंह ने बख्तियातपुर से चुनाव लड़ रही सुंदरी देवी के पक्ष में जमकर प्रचार किया। सुंदरी देवी इलेक्शन जीत गयी।

 निष्ठावान कांग्रेसी बने रहे रामलखन के साथ 1957 के चुनाव में क्या हुआ?

देखते देखते 1957 का चुनाव भी सर पर आ गया. चुनाव के लिए उम्मीदवारों की सूची बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई थी। बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह और अनुग्रह बाबू के गुटों ने फिर से अपने-अपने हिसाब से प्रत्याशियों की सूची तैयार करनी शुरू कर दी. इसी दौरान सीएम नीतीश के पिता रामलखन सिंह ने कांग्रेस के बड़े नेताओं को अपना वचन याद दिलाया. लेकिन उस दौरान भी उनकी बात किसी ने नहीं सुनी. एक बार फिर से बाढ़ लोकसभा क्षेत्र से तारकेश्वरी सिन्हा और बख्तियारपुर विधानसभा से सुन्दरी  देवी को उम्मीदवार बना दिया गया।

दुखी रामलखन सिंह ने कैसे सिखाया कांग्रेसियों को सबक

दुखी रामलखन ने कांग्रेस पार्टी को सबक सिखाने की ठान ली. क्योंकि उन्हें 1951- 52 के चुनाव के दौरान हीं कहा गया था कि अगले चुनाव में उन्हें टिकट दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. टिकट कटने के बाद रामलखन सिंह के धैर्य का बांध टूट गया. उन्होंने श्रीकृष्ण सिंह गुट और अनुग्रह गुट दोनों को सबक सिखाने की ठान ली. इनके साथ वैसे कांग्रेसी कार्यकर्ता भी साथ हो लिए जो टिकट पाने की आस में थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पाया था .

टिकट नहीं मिलने से नाराज रामलखन सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी, और रामगढ़ के राजा के नेतृत्व वाली जनता पार्टी में शामिल हो गए .जिसमें बख्तियारपुर में आचार्य जगदीश को प्रत्याशी बनाया गया। फतुहा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से केशव प्रसाद प्रत्याशी बने. वही रामलखन सिंह भी बाढ़ लोकसभा  क्षेत्र से प्रत्याशी बनाए गए. रामलखन सिंह के निशाने पर बाढ़,लोकसभा के साथ साथ बख्तियारपुर और फतुहा विधानसभा क्षेत्र था. उन्हें पता था की बाढ़ में कांग्रेस को बाढ़ इलाके में  झटका देना नामुमकिन है .इसलिए उन्होंने अपना पूरा ध्यान बख्तियारपुर और फतुहा विधानसभा क्षेत्र पर केंद्रित रखा. जब  चुनाव परिणाम सामने आया तो बाढ़ में तारकेश्वरी सिन्हा तो जीत गई लेकिन बख्तियारपुर में कांग्रेस प्रत्याशी सुंदरी देवी सोशलिस्ट प्रत्याशी शिव महादेव प्रसाद से हार गई. वहीं फतुहा में भी केशव प्रसाद चुनाव जीत गए। रामलखन बाबू भले हीं चुनाव हार गए लेकिन 2 विस क्षेत्र में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा।इस तरह से कांग्रेसियों को करारा जवाब मिला।

बाढ़ में रामलखन सिंह को मिले थे 5.6 फीसदी वोट

बता दें कि उस चुनाव में बाढ़ लोकसभा  क्षेत्र में तारकेश्वरी सिन्हा को सबसे अधिक 47 फीसदी वोट यानि 79 हजार मत मिले थे।रामलखन सिंह को केवल 5.6 फीसदी वोट यानि 9500 मत मिले थे।लेकिन वे अपने उद्देश्यों में सफल हो गए,क्यों कि बख्तियारपुर में सुंदरी सिंह को हार का सामना करना पड़ा।


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