PATNA: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों चर्चा में हैं. चर्चा सेक्स बयान को लेकर हैं. इतना ही नहीं दलित नेता व पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को सदन में तू-तड़ाक करने को लेकर भी नीतीश कुमार विवादों में घिर गए हैं. विधानसभा में सेक्स ज्ञान की खबर न सिर्फ बिहार बल्कि देश-दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है. हाल के दिनों में जिस तरह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बयान दे रहे हैं, या फिर अपनी गतिविधि दिखा रहे, उससे उनकी भारी फजीहत हो रही. ऐसा नहीं कि मुख्यमंत्री खेमे की तरफ से अपने नेता की भद्द पिटने से बचाने की कोशिश नहीं की जा रही, फिर भी मुख्यमंत्री खबर बन जा रहे हैं. हालांकि अब नई रणनीति पर काम शुरू कर दिया गया है. अब यही कोशिश है कि नीतीश कुमार का मीडिया से सामना कम से कम हो, या फिर लाईव वीडियो न चले.
राजकीय समारोह में मीडिया से बना ली दूरी
दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज सुबह मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती पर आयोजित राजकीय समारोह में शिरकत करने एसकेएम हॉल पहुंचे थे। इस कार्यक्रम में मंत्री विजय चौधरी, जदयू के वरिष्ठ नेता छोटू सिंह ने भी शिकरत किया. बता दें अब तक राजकीय समारोह कवरेज के लिए मीडिया की इंट्री रहती थी. कार्यक्रम में शामिल होकर नीतीश कुमार इन दिनों मीडिया से बात भी करते रहे हैं. लेकिन इस बार मीडिया को नजदीक जाने से ही रोक दिया गया. पोर्डियम को भी हटा दिया गया. ऐसा इस डर से किया गया कि कहीं सीएम नीतीश पत्रकारों को देख कर उधऱ न चल नहीं जाएं या फिर पत्रकारों को बुला नहीं लें. लिहाजा पूरे राजकीय समारोह में मीडिया को दूर कर दिया गया.
पत्रकारों से कम से कम हो सामना तभी बचेगी प्रतिष्ठा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे तो सुरक्षाकर्मियों ने मीडिया को आगे बढ़ने से रोक दिया. कहा गया कि पत्रकारों को आगे नहीं जाना है. ऊपर से आदेश है कि आपलोग यहीं रहें. हम कुछ नहीं कह सकते हैं। इस तरह से मीडिया बैन के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजकीय समारोह में शिरकत कर वापस लौट गए. अब बड़ा सवाल यही उठ रहा कि वाकई में नीतीश कुमार को मीडिया से डर लगने लगा है ? क्या नीतीश कुमार के चहेते मंत्रियों ने ऐसी सलाह दी है कि कुछ समय तक नीतीश कुमार का सामना मीडिया से नहीं हो, ताकि फिर से कोई नया विवाद जन्म नहीं ले. या फिर नीतीश कुमार जो बोलते हैं उसका सीधा उल्टा करते हैं ? क्यों कि इन दिनों मुख्यमंत्री हर जगह यह कहते फिर रहे कि हम मीडिया की स्वतंत्रता के हिमायती हैं. केंद्र सरकार ने मीडिया पर कब्जा कर लिया है. हमलोग आयेंगे तो मीडिया आजाद हो जाएगी. बिहार जहां खुद नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री हैं..उनके ही कार्यक्रम में मीडिया को रोक दिया जा रहा. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि मीडिया को लेकर सत्ताधारी दलों के अंदर क्या चल रहा है ?
गृह मंत्री को खोजने के बाद हुई थी फजीहत, तब जनता दरबार का लाइव प्रसारण कराया था बंद
वैसे यह कोई पहले दफे की घटना नहीं है. मुख्यमंत्री के जनता दरबार का लाईव प्रसारण भी बद करा दिया गया है. जनता दरबार में नीतीश कुमार द्वारा गृह मंत्री को खोजने के बाद भी इनकी भारी फजीहत हुई थी. मुख्यमंत्री स्वयं गृह मंत्री भी हैं, इसके बाद भी गृह मंत्री को फोन लगाने की बात कर रहे थे. लाईव प्रसारण के दौरान यह बात पब्लिक डोमेन में आ गई. तब इनकी भारी फजीहत हुई थी. भाजपा ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की थी. अगले जनता दरबार से पहले ऑडिय़ो बंद किया गया फिर लाईव प्रसारण ही बंद कर दिया गया.