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सीएम नीतीश का JDU के दो बड़े नेताओं के खिलाफ ऑपरेशन साइलेंट! धीरे-धीरे करने लगा है असर, पढ़िए इनसाइड स्टोरी

सीएम नीतीश का JDU के दो बड़े नेताओं के खिलाफ ऑपरेशन साइलेंट! धीरे-धीरे करने लगा है असर, पढ़िए इनसाइड स्टोरी

पटना :  बिहार की राजनीति में एक तथ्य बिल्कुल सत्य है कि किसी बड़े समाजवादी नेता से अगर आपको मनमुटाव होता है तो वह चीजें बाद में जाकर निबटाया जा सकता है यानी मनमुटाव खत्म कर सम्बन्धों को फिर से राजनीतिक रास्ते पर बढ़ाया जा सकता है। लेकिन नीतीश कुमार की अगर आपने नाफरमानी कर दी तो बरसों की दोस्ती ऐसे बिखर जाएगी जैसे आपको वे जानते ही नहीं। अक्सर वे अपने विरोधियों के खिलाफ बोला नहीं करते और अगर दल के अंदर रहकर लगातार नाफरमानी कर रहे हैं तो वे चलाते हैं ऑपरेशन साइलेंट। फिर उसका असर आप पर धीरे-धीरे ऐसे होता है कि आप किसी काम के यानी दल के लिए उपयोगी नहीं रह जाते ।यहां तक कि दल से बाहर भी आपको राजनीतिक दलदल में रहना पड़ सकता है। ऐसे कई उदाहरण बिहार की राजनीति में हैं। हर नियम का अपवाद भी होता है।इसलिये उसपर ध्यान मत दीजिये।

सीएम नीतीश ने कैसे चलाया ऑपरेशन साइलेंट
स्मृति पटल पर थोड़ा जोर डालिये। केंद्र में एनडीए के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही भाजपा अपना तेवर दिखाने लगी थी। यानी अपने हर एजेंडे को संसदीय प्रणाली के परखनली में उतारकर लागू करने पर आमदा थी। लेकिन उसमें भी एक बारीकी अपनायी जा रही । वह यह कि सेक्युलर नेता की राष्ट्रीय छवि रखने वाले और एनडीए के मजबूत पार्टनर के मुखिया नीतीश कुमार को हर महत्वपूर्ण एजेंडे पर रणनीति के साथ साथ लेने की कोशिश की जा रही थी। उसका परिणाम हुआ कि नीतीश कुमार की पार्टी किसी एजेंडे पर बायकॉट कर अपरोक्ष समर्थन दिया तो कहीं प्रत्यक्ष। 

 इस बीच 2 बड़े नेताओं ने लगातार खोल रखा था मोदी के खिलाफ मोर्चा
संसदीय प्रणाली और संवैधानिक तरीके से सारे बिल को पास करवाकर लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो गया था। चाहे वो धारा 370 हो या फिर CAA या फिर NPR. सूत्रों कि माने तो प्रत्येक संवेदनशील मुद्दे पर अमित शाह ने नीतीश कुमार से खुद बातचित की। वहीं दूसरी तरफ जदयू के दो बड़े नेता राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और राज्यसभा सांसद पवन वर्मा लगातार खिलाफ बोलते रहे और नीतीश कुमार को नसीहत भी देते रहे।

पीके की नीतीश से मुलाकात के मायने
बयान का तूफान खड़ा करने के बाद भी जब पीके के मन नहीं भरा तो वे सीएम नीतीश आकर पटना में मिले फिर बयानबाजी की और चलते बने। पीके ने ट्वीट कर एलान कर दिया कि बिहार में CAA लागू नहीं होगा। पीके यह साबित करने में जुटे रहे कि मैं जो कह रहा हूँ उससे नीतीश अलग नहीं जा सकते।

इस बाबत मीडिया का सवाल और नीतीश का जवाब
जरा गौर कीजिये कि मीडिया के सामने जब भी नीतीश आये तो पहला सवाल CAA NPR जैसे मुद्दों पर पीके के दावे को लेकर दागा जाता रहा। वशिष्ठ नारायण सिंह के यहां भोज के दौरान जब प्रश्न सीएम नीतीश से इन्ही प्रश्नों को दुहराया गया तो उन्होंने कहा कि आज चुड़ा दही खा लीजिये 19 के बाद बात करेंगे।दूसरी तरफ दोनो नेताओं ने नीतीश कुमार को नसीहत देने का काम भी जारी रखा।

अब बात ऑपरेशन साइलेंट की
19 तारीख के बाद नीतीश कुमार ने मीडिया से बात तो नहीं कि लेकिन उनसे बात कर जारी किया गया जदयू के दिल्ली चुनाव के स्टार प्रचारकों के नाम वाले लेटर से दोनो नेताओं को आउट कर दिया गया। मतलब साफ है कि दोनों बड़े नेता दिल्ली में ही जमे हैं लेकिन यह कह दिया गया कि आपकी उपयोगिता पार्टी में नहीं है। यहां तक तो साफ हो चुका लेकिन जानकार बताते हैं नीतीश कुमार  का प्रहार इतना बारीक होता है कि आपको पता भी न चले पर काम ऐसा हो कि सबको समझ मे आ जाये। मतलब साफ है कि सीएम नीतीश कुमार ने ई बड़े नेताओं के खिलाफ ऑपरेशन साइलेंट शुरू कर दिया है जो दूसरों के लिये नसीहत हो सकता है।

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