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शराबबंदी पर सवालों में घिरे सीएम नीतीश, सुप्रीम कोर्ट ने सुशासन बाबू से पूछ लिया है बड़ा सवाल

शराबबंदी पर सवालों में घिरे सीएम नीतीश, सुप्रीम कोर्ट ने सुशासन बाबू से पूछ लिया है बड़ा सवाल

पटना. बिहार में लागू शराबबंदी पर सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फिर से घेरा है. बिहार के शराब बंदी कानून के चलते अदालतों में बढ़ते मुकदमों की संख्या पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से पूछा- क्या कानून लागू करने से पहले यह देखा कि इसके लिए अदालती ढांचा तैयार है या नहीं? अगर ऐसा कोई अध्ययन किया था तो कोर्ट और जजों की संख्या बढ़ाने को लेकर क्या किया गया?

इसके पहले भी कोर्ट ने शराबबंदी कानून पर सवाल उठाए थे. इसके पूर्व शराबबंदी कानून के उल्लंघन के एक आरोपी सुधीर कुमार यादव उर्फ सुधीर सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजय किशन कौल और एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा था कि बिहार में शराबबंदी के कारण अदालतों में केसों का दवाब बहुत ज्यादा बढ़ गया है.  कोर्ट ने अदालतों में अदालतों पर मामलों का दबाव बढ़ने को लेकर इसका एक बड़ा कारण शराबबंदी के कारण बढ़े मामलों की संख्या को बताया था. 

कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि अदालती ढांचे को विकसित करने के लिए बिहार सरकार ने क्या कदम उठाए हैं? इस कानून में बिहार सरकार प्ली बारगेनिंग का प्रावधान भी जोड़ेगी? प्ली बारगेनिंग वह कानूनी प्रावधान है जिसमें किसी अपराध का आरोपी जज के सामने अपने ऊपर लगे आरोप स्वीकार करता है. इसके चलते कोर्ट उसे सज़ा में कुछ रियायत दे देता है. जानकारी हो कि 2 जजों की बेंच ने बिहार सरकार को इन सभी पहलुओं पर जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई की अगली तारीख 8 मार्च तय की है.

बिहार में अप्रैल 2016 से शराबबंदी लागू है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2016 से दिसंबर 2021 तक बिहार में शराबबंदी कानून के तहत 2.03 लाख मामले सामने आए हैं. इनमें 3 लाख से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें से 1.08 लाख मामलों का ट्रायल शुरू हो गया है. 94 हजार 639 मामलों का ट्रायल शुरू होना अब भी बाकी है.

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