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भ्रष्टाचार में लिप्त CO की खैर नहीं, अगस्त से अब तक 9 अंचलाधिकारी सस्पेंड, 12 पर विभागीय कार्यवाही

भ्रष्टाचार में लिप्त CO की खैर नहीं, अगस्त से अब तक 9 अंचलाधिकारी सस्पेंड, 12 पर विभागीय कार्यवाही

PATNA: बिहार सरकार की तमाम कोशिश के बाद भी अंचल में भ्रष्टाचार कम होने का नाम नहीं ले रहा। अँचलों में बैठे अंचलाधिकारी सरकार की फजीहत करा रहे। सीओ की मिलीभगत से ही जमीन का बड़ा खेल हो रहा है। जमीनी विवाद की मुख्य वजह अंचल है। अब बिहार में नई सरकार बनी है। इन तीन महीनों में 9 अंचलाधिकारियों को निलंबित किया गय़ा है। वहीं 12 के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जा रही है। 

भ्रष्ट आचरण में संलिप्त अंचल अधिकारियों पर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग सख्त है और दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी। अगस्त माह में महागठबंधन सरकार बनने से लेकर अबतक विभाग ने 9 अंचल अधिकारियों को निलंबित कर दिया है, जबकि 12 के खिलाफ विभागीय कार्रवाई चल रही है। अंचल अधिकारी समेत राजस्व विभाग के किसी भी कर्मी या पदाधिकारी के खिलाफ शिकायत प्राप्त होती है तो भविष्य में भी उनके खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जायेगा। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार मेहता ने विभागीय निगरानी कोषांग के कार्यों की समीक्षा के दौरान ये बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि जिन अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच चल रही है उसे जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाय, ताकि संबंधित कर्मी के खिलाफ शीघ्र एवं सही निर्णय लिया जा सके।

इन अंचल अधिकारियों को किया गया निलंबित 

1.विजय कुमार, अंचल अधिकारी, दाउदनगर, 2. सुनील कुमार वर्मा, तत्कालीन अंचल अधिकारी, बिहारशरीफ 3. चंदन कुमार, तत्कालीन अंचल अधिकारी, फुलवारीशरीफ, पटना 4. कुमार कुंदन लाल, तत्कालीन अंचल अधिकारी, गड़हनी, भोजपुर 5. अमित कुमार, अंचल अधिकारी, ओबरा, औरंगाबाद 6. उज्जवल कुमार चौबे, अंचल अधिकारी, कुचायकोट, गोपालगंज 7. दिनेश कुमार, तत्कालीन अंचल अधिकारी, काको, जहानाबाद 8. विनोद कुमार चौधरी, अंचल अधिकारी, खिजरसराय, गया एवं  सुरेजश्वर श्रीवास्तव, अंचल अधिकारी, करगहर, रोहतास। 

इनमें से दो अंचल अधिकारियों खिजरसराय के विनोद कुमार चौधरी एवं काको के दिनेश कुमार को घूस लेते हुए निगरानी ने ट्रैप कर लिया गया था, जिसके आलोक में विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए निलंबन की कार्रवाई की है, जबकि अन्य के मामले में जिलास्तर से प्राप्त प्रतिवेदन के आलोक में जाँच कर निलंबन की कार्रवाई की गई है।अंचल अधिकारियों पर जिन आरोपों के तहत कार्रवाई की गई है, उनमें मुख्य हैं:- अवैध जमाबंदी कायम करना, अतिक्रमण हटाने में लापरवाही बरतना, माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना, बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम से संबंधित वादों में पारित आदेशों के अनुपालन में दिलचस्पी नहीं लेना, दाखिल खारिज एवं ऑन लाइन सेवाओं का ससमय निष्पादन नहीं करना आदि। 

इनके अलावा करीब 12 अंचल अधिकारी ऐसे हैं जिनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई वर्त्तमान में संचालित है। इनमें औरंगाबाद के दाउदनगर के तत्कालीन अंचल अधिकारी, ओबरा के मौजूदा अंचल अधिकारी, भागलपुर के रंगराचौक के तत्कालीन अंचल अधिकारी, बरबीघा, शेखपुरा के तत्कालीन अंचल अधिकारी, पचरूखी, सिवान के तत्कालीन अंचल अधिकारी, धनरूआ, पटना के तत्कालीन अंचल अधिकारी, हिलसा, नालंदा के अंचल अधिकारी, आरा सदर के तत्कालीन अंचल अधिकारी, अररिया के तत्कालीन सहायक बन्दोवस्त पदाधिकारी और बैरिया, पश्चिम चम्पारण के तत्कालीन अंचल अधिकारी शामिल हैं।

पिछले हफ्ते अपर समाहत्तओं की पटना में हुई मासिक बैठक में भी सभी अपर समाहर्त्ताओं को यह भी निदेश दिया गया कि जिन कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई संचालित है, उनके खिलाफ शीघ्र ही जाँच संपन्न कर अपना प्रतिवेदन विभाग को भेजा जाय, साथ ही जाँच प्रतिवेदन को निर्धारित फॉर्मेट में ही भेजा जाय।राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार मेहता ने कहा कि हमारा विभाग आम लोगों से सीधा जुड़ा हुआ विभाग है। सर्व साधारण लोगों, गरीब-गुरबों को कोई परेशानी नहीं हो, उनका काम तय समय सीमा में हो जाय, इसे लेकर हमारा विभाग सचेत है। विभागीय अधिकारियों से भी हमारी अपील है कि वे जनहित में राज्य के विकास का काम करें, ताकि विभाग की छवि को बेहतर बनाया जा सके

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