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दोस्ती की अनूठी मिसाल : लखीसराय से 50 किमी दूर शेखपुरा आकर पूरा गांव खेलता है होली, जानिए क्या है मान्यता

दोस्ती की अनूठी मिसाल : लखीसराय से 50 किमी दूर शेखपुरा आकर पूरा गांव खेलता है होली, जानिए क्या है मान्यता

SHEKHPURA : यहां लखीसराय जिले के शोभानपुर गांव के लोग 50 किलोमीटर दूर शेखपुरा जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत मंदना गांव में आकर होली खेलते हैं। यह दोस्ती, होली, परंपरा, आस्था और आपसी भाईचारे का एक अनूठी मिसाल है। गांव के लोग पांच सौ से भी अधिक यहां आते हैं। रात भर रुकते हैं। भजन कीर्तन, हरे राम होता है। होलिका दहन के बाद परंपरागत होली खेलते हैं। फिर गांव के लोगों के द्वारा रंग गुलाल लगाकर सभी को विदाई दी जाती है।


होली के अवसर पर हजार किलोमीटर दूर से भी लोग अपने गांव और घर पहुंचकर होली खेलते हैं। लेकिन यहां 50 किलोमीटर दूर दूसरे गांव में जाकर होली खेलने की परंपरा है। दरअसल, यह परंपरा कब से है। इसके बारे में किसी को पक्की जानकारी नहीं है। 

ग्रामीणों के बीच यह मान्यता है कि बहुत साल पहले इस गांव के एक व्यक्ति गंगा स्नान करने के लिए जा रहे थे। तभी शोभानपुर के यात्री रास्ते में साथ हो लिए। दोनों में मित्रता हो गई। दोनों जब गंगा में स्नान करने लगे। उसी दौरान बजरंगबली की एक मूर्ति दोनों को मिली। फिर दोनों दोस्तों में यह सहमति बनी की मूर्ति को मंदना गांव में जाकर स्थापित करना है। हम लोगों वहीं आकर पूजा करेंगे। तब से यह परंपरा बनी हुई है। होली के अवसर पर लखीसराय जिले के बड़हिया प्रखंड के शोभानपुर गांव के ग्रामीण अपनी व्यवस्था से इस गांव में आते हैं और पूरा होली यही खेलते हैं।

इसकी जानकारी देते हुए ग्रामीण सुशील कुमार सिन्हा, दीपक सिन्हा, पप्पू लाल, पशुपतिनाथ नाथ सिन्हा, कौशल पांडेय, रविन्द्र पांडेय, राजेन्द्र पांडेय, प्रभात कुमार,अरुण यादव, राजेश यादव, मोलन पाण्डेय, सुरेश पांडेय बताते हैं कि सभी के लिए रहने की व्यवस्था उन लोगों के द्वारा किया जाता है। फिर सभी लोग साथ मिलकर होली गायन करते हैं। होलिका दहन होता है। अगले दिन बजरंगबली के मंदिर में मिट्टी चढ़ाने के बाद होली की शुरुआत होती है। मिट्टी होली के बाद फिर रंग चढ़ा कर रंग की होली खेली जाती है। दोनों गांव के लोग संयुक्त रूप से होली खेलते हैं। यह भी बताया कि गांव में मांस मछली इस अवसर पर तीन-चार दिनों तक नहीं बनाया जाता है।

शेखपुरा से दीपक की रिपोर्ट 

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