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कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में 13 प्रत्याशियों के बीच मुकाबला, भाजपा-जदयू को सबसे ज्यादा इनसे है खतरा

कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में 13 प्रत्याशियों के बीच मुकाबला, भाजपा-जदयू को सबसे ज्यादा इनसे है खतरा

पटना. कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव 13 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होगा. 5 दिसम्बर को होने वाले उपचुनाव के लिए नाम वापसी की अंतिम तारीख 21 नवंबर थी जिसके बाद चुनावी मैदान में कुल 13 उम्मीदवार बचे हैं. कुढ़नी में कुल 21 उम्मीदवारों ने नामांकन किया था लेकिन स्क्रूटनी के बाद 8 का पर्चा ख़ारिज हो गया. ऐसे में अब 13 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होना है जिसमें भाजपा और जदयू को कई अन्य उम्मीदवारों से कड़ी टक्कर होगी. 

कुढ़नी की लड़ाई सत्ताधारी जदयू और मुख्य विपक्षी दल भाजपा के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई है. यहां भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता, जदयू के मनोज कुमार सिंह, वीआईपी के नीलाभ कुमार, एआईएमआईएम के मोहम्मद गुलाम मुर्तजा मुख्य उम्मीदवारों के रूप में है. इसके अलावा राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी से उपेंद्र सहनी, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ़ इंडिया कम्युनिस्ट काली कांत झा, जन जनवादी पार्टी के सुखदेव प्रसाद, आदर्श मिथिला पार्टी के संजय ठाकुर, निर्दलीय अलोक कुमार सिंह, दिनेश कुमार राय, विनोद कुमार राय, शेखर सहनी और संजय कुमार हैं. 

5 दिसम्बर को होने के वाले चुनाव में 320 बूथों पर 3.11 लाख मतदाता वोट डालेंगे. चुनावी समर को जितने के लिए जदयू की ओर से जोरदार तैयारी की जा रही है. पार्टी सूत्रों के अनुसार 2 दिसम्बर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनसभा को संबोधित करेंगे. उनके साथ उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी होंगे. इसके पहले जदयू के अध्यक्ष ललन सिंह और तेजस्वी यादव की सभाएं होंगी. वहीं भाजपा की ओर से कुढ़नी में फिर से 2015 की तरह जीत हासिल करने के लिए बड़ी तैयारी की गई है. पार्टी के करीब दो दर्जन नेता वहां चुनावी कमान संभाल सकते हैं. नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा, विधान परिषद के नेता सम्राट चौधरी, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल, सुशील मोदी सहित कई अन्य नेताओं के चुनाव प्रचार करने की संभावना है. 

इस उपचुनाव को बीजेपी और महागठबंधन के बीच देखा रहा है. महागठबंधन ने  मनोज कुशवाहा को अपना उम्मीदवार बनाया है. इसके अलावा बीजेपी ने यहां से केदार गुप्ता को मैदान में उतरा है. हालांकि इन दोनों का खेल वीआईपी के नीलाभ कुमार और एआईएमआईएम के मोहम्मद गुलाम मुर्तजा खराब कर सकते हैं. कुढ़नी के जातीय समीकरणों में भूमिहार और सहनी अहम भूमिका निभाते हैं. नीलाभ भूमिहार जाति से हैं और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी से उम्मीदवार हैं. ऐसे में उनके पक्ष में इन दो जातियों का बड़ा वोट बैंक जा सकता है. इससे भाजपा और जदयू दोनों की मुश्किल बढ़ सकती है. दोनों की नजर भूमिहार और सहनी वोट पर है लेकिन नीलाभ के मैदान में उतरने से इस वोट बैंक में बिखराब तय माना जा रहा है. इसी तरह ओवैसी की पार्टी से मोहम्मद गुलाम मुर्तजा के उतरने से मुस्लिम वोटों का बड़ा हिस्सा इनकी ओर शिफ्ट हो सकता है. यह जदयू के मनोज कुशवाहा के लिए खतरे की घंटी होगी. 


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