NALANDA : बिहार के लोगों का मानना है कि पिछले डेढ़ दशक में राजधानी पटना के बाद सबसे ज्यादा विकास के काम नालंदा जिले में किए गए हैं। लेकिन यह भ्रम तब टूट जाता है जब यहां कि स्वास्थ्य व्यवस्था पर नजर जाती है। तीन दिन पहले यहां मरीज की मौत के बाद उसकी लाश को घर पहुंचाने के लिए अस्पताल से सरकारी एंबुलेंस नहीं मिल पाने के कारण ठेले का सहारा लेना पड़ा। वहीं अब अस्पताल में वह तस्वीरें सामने आई हैं. जहां मरीज को इलाज के लिए बेड पर नहीं बल्कि खाट पर लिटाया गया है।
ठेले पर लेकर आए मरीज को
थरथरी के बांसडीह गांव में गोतिया के बीच हुए मारपीट में पांच लोग जख्मी हो गए थे। एक महिला को खाट पर लिटा ठेले से सदर अस्पताल लाया गया। सोमवार को सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में खाट पर इलाज का मामला सामने आया गया। यहां इमरजेंसी वार्ड के डॉक्टर ने उसका खाट पर ही इलाज किया। जबकि, बेड खाली थी। खाट पर इलाज का कवरेज कर रहे मीडियो कर्मियों को डॉक्टर साहब आंखें दिखाने लगे। शायद उन्हें अहसास था कि वह गलत कर रहे हैं। पत्रकारों को कवरेज से रोकने का प्रयास भी किया गया।
मामले में अस्पताल का बचाव करते हुए अस्पताल उपाधीक्षक डॉ आर एन प्रसाद ने बताया कि जख्मी महिला का दोनों पैर और एक हाथ टूटा था। इसलिए खाट पर ही डॉक्टर ने इलाज शुरू कर दिया। बेड पर लिटाने में उन्हें काफी दर्द होता। ऐसी स्थिति में मरीज का इलाज खाट पर ही करने का फैसला लिया गया।