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नीतीश राज में जेलों की हालत खराब, क्षमता से 16500 ज्यादा कैदी, स्वच्छता और सुरक्षा दोनों की हालत खराब

नीतीश राज में जेलों की हालत खराब, क्षमता से 16500 ज्यादा कैदी, स्वच्छता और सुरक्षा दोनों की हालत खराब

पटना. बिहार में जेलों की हालत बेहद खराब है. एक तो क्षमता से कई गुना ज्यादा कैदी जेलों में बंद हैं तो दूसरी ओर राज्य की जेलों में न तो पर्याप्त स्वच्छता का ध्यान दिया जाता है और ना कुछ जेलों के आसपास सुरक्षा की मौजूदा व्यवस्था भी चिंतनीय है. यह खुलासा हुआ है राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निरिक्षण के बाद, जिसने राज्य में जेलों की चिंताजनक हालत पर नीतीश सरकार का ध्यानआकृष्ट किया है. 

दरअसल बिहार में 59 जेल हैं और इन जेलों में कैदियों को रखने की कुल क्षमता 47,500 है. हालांकि व्यवस्था की तुलना में मौजूदा समय में इन जेलों में 64 हजार से ज्यादा कैदी बंद हैं जिससे न तो कैदियों को उचित सुविधा मिल पाती है और ना ही उनका स्वास्थ्य ठीक रह पाता है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक टीम ने राज्य की छपरा जेल और पटना के बेउर जेल का निरीक्षण किया. टीम ने कहा कि जेलों में पर्याप्त सुविधा नहीं होने के कारण कैदियों को कई प्रकार की बीमारी हो रही है. वे चर्म रोग से ग्रसित हो रहे हैं. 

इतना ही नहीं जेलों में बंद कैदियों को उचित मुफ्त कानूनी सलाह और बेल को लेकर व्यवस्था भी समय अनुरूप नहीं मिल रही है. इससे बड़ी संख्या में ऐसे कैदी जेल में बंद हैं जो सजा से ज्यादा का समय काट चुके हैं या उन्हें साधारण मामलों में भी जमानत नहीं मिल पाई है. टीम ने जेलों में सीसीटीवी कैमरा एवं फ्लड लाईट और अधिक संख्या में लगाए जाने की आवश्यक्ता जताई है. मानवाधिकार आयोग की यह टीम छपरा जेल में बंद वैशाली जिला निवासी चंदन शाह (35) नामक विचाराधीन कैदी की 2020 में स्प्रीट सेवन से मौत होने के मामले की जांच के लिए बिहार आई थी.

हालांकि राज्य सरकार के तरफ से जेल आईजी मनीष कुमार मीणा की मानें तो राज्य सरकार की कोशिश है कि जेलों की संख्या बढ़ाई जाए. राज्य में 5 नए जेल बनने हैं. जल्द ही भवन निर्माण विभाग उसको हैंडओवर करने वाला है. साथ ही जहां भूमि उपलब्ध है वहां नया बैरक बनाया जा रहा है.


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