नवादा : बिहार सरकार भले ही सूबे में स्वास्थ्य सेवाओं के बेहतर होने का लाख दावा कर ले पर सदर अस्पताल नवादा को देख यह साफ हो जाता है कि ये दावे सिर्फ कागजी ही है. नवादा में भले ही जिला अस्पताल घोषित किए हुए वर्षों बीत गए हों लेकिन अब भी यहां कई बुनियादी सुविधाएं मिल नहीं पाई हैं.
ICU जैसी जरूरी सुविधा अब तक उपलब्ध नहीं हो पाई है. जिसका खामियाजा गंभीर रूप से बीमार या जख्मी मरीजों को भुगतना पड़ता है। चिकित्सक मजूबरन गंभीर मरीज को पटना रेफर करते हैं. इस बीच कई दफा मरीज की मौत रास्ते में ही हो जाती ह.। सदर अस्पताल में साल 2012 में ICU भवन बनाया गया था. मौजूदा पोस्टमार्टम भवन के समीप यह भवन यूं ही बेकार पड़ा हुआ है.
भवन का सही देखभाल नहीं होने से इसके प्लास्टर जगह-जगह से उखड़ने लगे हैं. आइसीयू के लिए यह भवन बनाया तो गया लेकिन कभी इसे चालू नहीं किया गया. एक भी मरीज इसके अंदर आज तक नहीं गए. विभागीय जानकारी के मुताबिक राज्य स्वास्थ्य समिति ने 34 लाख 11 हजार रुपये से इस ICU भवन का निर्माण कराया था. भवन निर्माण विभाग से इसकी बिल्डिंग बनी. योजना थी कि नवादा सदर अस्पताल में पहुंचे गंभीर मरीजों के लिए ICU की सुविधा मुहैया कराई जाए, लेकिन यह सब सिर्फ फाइलों में ही दबकर रह गया. जबकि हर बार सदर अस्पताल में ICU की जरूरत महसूस की जाती है. बीते एक दशक में दो बार ICU को लेकर योजना बनी. अस्पताल के सूत्र बताते हैं कि जिस आइसीयू भवन को वर्षाें पहले बनाया गया उसका निर्माण सही से नहीं किया गया. उस भवन में बिजली की वायरिंग से लेकर एयर कंडीशन आदि लगाए जाने थे पर वह सब नहीं हुआ. समय के हिसाब से अधिकारी आते और जाते रहे, लेकिन ICU की जरूरत व इसके लिए बनी भवन पर शायद किसी का ध्यान नहीं गया.
गौरतलब है कि इससे पहले करीब दस साल पहले भी सदर अस्पताल में एक मिनी आइसीयू के लिए योजना बनी थी. तत्कालीन जिलाधिकारी पंकज कुमार के समय भी पहल हुई थी। लेकिन वह भी चालू नहीं हो सका। बहरहाल,आइसीयू की जरूरत आज और बढ़ गई है। बावजूद इस आधुनिक चिकित्सीय सुविधा से जिलेवासी महरूम हैं।
इधर सिविल सर्जन डॉ. श्रीनाथ प्रसाद ने बताया कि आइसीयू के लिए बनाया गया भवन अब तक विभागीय रूप से हैंडओवर ही नहीं कराया गया। भवन की स्थिति भी अब अच्छी नहीं रही। हाल ही में इसका मुआयना किया गया। सदर अस्पताल में आइसीयू का होना जरूरी है। लेकिन जगह की उपलब्धता नहीं होने से काफी दिक्कत है।