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बिहार में राजद से गठबंधन रखना नहीं चाहती कांग्रेस, चिंतन शिविर में बिहार कांग्रेस के नेताओं ने गठबंधन का किया विरोध

बिहार में राजद से गठबंधन रखना नहीं चाहती कांग्रेस, चिंतन शिविर में बिहार कांग्रेस के नेताओं ने गठबंधन का किया विरोध

पटना. राजनीतिक चुनौतियों का समाधान निकालने के लिए उदयपुर में चल रहे कांग्रेस के चिंतन शिविर में कई राज्यों में गैर भाजपा दलों के साथ गठबंधन कर चुनाव में उतरने की बात की गई. हालाँकि बिहार कांग्रेस के नेता इससे अलग राय रखते हैं. दरअसल, राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर भाजपा को मात देने के लिए कांग्रेस के कई नेताओं का मानना रहा है कि राज्यों के क्षेत्रीय और छोटे दलों के साथ गठबंधन किया जाए. इससे विपक्षी एकता भी होगी और कांग्रेस को ज्यादा सफलता मिलेगी. 

चिंतन शिविर से जुड़े सूत्रों की मानें तो अभिषेक मनु सिंघवी, प्रमोद तिवारी और पृथ्वीराज चव्हाण आदि ने सहित कई नेताओं की दलील थी कि ‘एकला चलो’ मॉडल अपनाने के लिए ज्यादा वक्त नहीं है. इसलिए गठबंधन की संभावना तलाशनी चाहिए. हालांकि, गठबंधन पर सभी नेता एकमत नहीं है. कई नेताओं ने साफ तौर पर एकला चलो की निति पर ही चलने का बात कही. 

पार्टी सूत्रों की माने तो गठबंधन का सबसे मुखर विरोध बिहार कांग्रेस की ओर से किया गया.  बिहार कांग्रेस के नेताओं ने गठबंधन का विरोध किया. उनकी दलील थी कि दीर्घकालिक लक्ष्यों के लिए कांग्रेस को मजबूत करने की जरूरत है. खासकर पार्टी को अपने संगठन को मजबूत करने की जरूरत है. क्षेत्रीय दलों से गठबंधन की जगह हार के कारणों पर चिंतन कर उसे सुधारने पर ध्यान देना चाहिए. ऐसे में बिहार में राजद के साथ कांग्रेस का साथ स्थानीय नेताओं को नागवार गुजरने की बात कही जा रही है. बिहार कांग्रेस के कई नेता चाहते हैं कि कांग्रेस अपने बलबूते ही राज्य में चुनाव लड़े. जिस तरह से एमएलसी चुनाव में पार्टी ने बेगूसराय में जीत हासिल की उसी तर्ज पर आगे आने वाले चुनाव में काम करने की जरूरत है. 

इस बीच, कांग्रेस नेता और जेएनयू छात्र अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने चिंतन शिविर की सराहना की. उन्होंने कहा, 'नव संकल्प चिंतन शिविर' में पार्टी ने अपने सदस्यों को लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखने का मौका दिया है. आज हम सभी मिलकर देश के युवाओं को जोड़ने और उनकी मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए चिंतन कर रहे हैं. 

वहीं, रंजीता रंजन ने कहा कि यह चिंतन शिविर कांग्रेस के लिए आत्ममंथन का एक मौका है. यहां हम अपनी गलतियों से सीखकर, देश की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव लाने हेतु संकल्पित हैं.. यहां से मिली प्रेरणा के बल पर हम पुनः लोगों का विश्वास जीत, कांग्रेस की सरकार बनाने में सफल होंगे.


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