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कांग्रेस ने पिछड़ों को नकारा ? - 48 की टीम में सिर्फ एक अतिपिछड़ा

कांग्रेस ने पिछड़ों को नकारा ? -  48 की टीम में सिर्फ एक अतिपिछड़ा

PATNA :   बिहार कांग्रेस की नयी टीम में पिछड़ों को नकार दिया गया है। अतिपिछड़ों की हालत और भी खराब है। बिहार कांग्रेस कमेटी में उन्हीं पिछड़ों को जगह मिली है, जिनकी अनदेखी मुमकिन नहीं थी। इनके नाम को शामिल करना पार्टी के लिए मजबूरी थी।

48 की टीम में सिर्फ एक अतिपिछड़ा

बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कुल 23 सदस्य हैं। परामर्शी समिति में 19 सदस्य हैं। 4 कार्यकारी अध्यक्ष बनाये गये हैं। सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। मदनमोहन झा को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। कुल 48 की टीम में सिर्फ एक अतिपिछड़े को स्थान मिला है। कैलाश पाल को कार्यसमिति का सदस्य बनाया गया है। कैलाश पाल को मिलाकर कुल 8 पिछड़ों को ही कांग्रेस की टीम में जगह मिली है। इनमें यादव समुदाय की संख्या केवल तीन है।

8 पिछड़े नेताओं को जगह

8 पिछड़े नेताओं को भी इस लिए जगह मिली क्योंकि उनको चुनना पार्टी के लिए मजबूरी थी। सदानंद सिंह कांग्रेस के सबसे सीनियर लीडर हैं और वे कहलगांव से 9वीं बार विधायक चुने गये हैं। रामदेव राय भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। वे छठी बार बछवाड़ा से विधायक चुने गये हैं। उन्होंने 1984 में जननायक कर्पूरी ठाकुर जैसे दिग्गज को लोकसभा चुनाव में हराया था। कांग्रेस के कमजोर होने के बाद भी व्यक्तिगत रूप से उनका जनाधार मजबूत रहा है। रंजीता रंजन, चर्चित सांसद पप्पू यादव की पत्नी हैं। उनका नाम लोकसभा में मुखर वक्ता के रूप में शुमार है। वे कांग्रेस की प्रमुख महिला नेताओं में शामिल हैं। पार्टी के लिए इन तीनों नेताओं की अनदेखी संभव नहीं थी। इसलिए मजबूरी में इन तीनों नेताओं को परामर्शी समिति में जगह दी गयी है। चंदन यादव अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी  के सचिव हैं। वे खगड़िया के रहने वाले हैं। उनका चुनाव राहुल गांधी ने खुद अपनी टीम में किया था। इसलिए उनको भी प्रदेश कमेटी में जगह दिया जाना जरूरी हो गया था। चंदन यादव को बिहार प्रदेश कार्य समिति का सदस्य बनाया गया है।

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