पटना. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ हुकांर भर रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए कर्नाटक का चुनाव परिणाम नई उम्मीद दे गया है. वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में केंद्र से मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए अब नीतीश कुमार सहित पूरा विपक्ष वही फ़ॉर्मूला अपना सकता है जो कर्नाटक में किया गया. पांच गारंटी वाला यह फ़ॉर्मूला वर्ष 2024 में नीतीश के उस सपने को साकार करने में बड़ी मदद करेगा जो उन्होंने नरेंद्र मोदी के खिलाफ देखा है. अब कर्नाटक में कांग्रेस को मिली बंपर जीत नीतीश की रणनीति में थोडा बदलाव करने का कारण बन सकती है. इससे नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव में भाजपा विरोधी दलों को बड़ी जीत दिला सकते हैं.
दरअसल, कांग्रेस ने कर्नाटक में सत्ता में आने के पहले दिन ‘पांच गारंटी’ लागू करने का वादा किया था. इन वादों में सभी घरों (गृह ज्योति) को 200 यूनिट मुफ्त बिजली, हर परिवार की महिला मुखिया (गृह लक्ष्मी) को 2,000 रुपये मासिक सहायता, गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के परिवार (अन्न भाग्य) के प्रत्येक सदस्य को 10 किलोग्राम चावल मुफ्त, बेरोजगार स्नातक युवाओं के लिए हर महीने 3,000 रुपये एवं बेरोजगार डिप्लोमा धारकों (दोनों 18-25 आयु वर्ग में) को दो साल के लिए 1,500 रुपये (युवा निधि) और सार्वजनिक परिवहन बसों (शक्ति) में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा शामिल हैं.
कांग्रेस ने कहा है कि कर्नाटक में नई सरकार के शपथ लेने के बाद पहली मंत्रिमंडल बैठक में ही इस ‘पांच गारंटी’ को लागू किया जाएगा. अब नीतीश कुमार भी इसी फार्मूला को अपना सकते हैं. जनता को लोकलुभावन वादों से लुभाने का राजनीतिक फ़ॉर्मूला हमेशा से कारगर रहा है. नीतीश कुमार इन दिनों विपक्षी एकता की मुहिम को लेकर आगे बढ़ रहे हैं. वे कई दलों के नेताओं से मिल चुके हैं. हालांकि जनता का वोट कैसे हासिल किया जाए इसे लेकर विपक्ष के पास कोई ठोस फ़ॉर्मूला नजर नहीं आता है. ऐसे में नीतीश कुमार अब विपक्षी दलों को कर्नाटक में कांग्रेस द्वारा अपनाए गए पांच गारंटी फ़ॉर्मूला को लागू करने की बात कर सकते हैं. इससे मतदाताओं को उसी तरह अपने पक्ष में गोलबंद किया जा सकता है जैसे कर्नाटक में हुआ.
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 37.36% वोट प्राप्त किया. यह वर्ष 1989 के आम चुनाव के बाद से किसी राजनीतिक दल द्वारा सबसे अधिक वोट शेयर था, और भाजपा 303 सीटों पर जीत हासिल की. ऐसे में भाजपा के विरोध में 62 प्रतिशत से ज्यादा वोट पड़ा. नीतीश कुमार और भाजपा की कोशिश इसी 62 प्रतिशत वोट को एकजुट करने की है. अब कर्नाटक ने नीतीश और कांग्रेस के सपने को नया आयाम दिया है. अगर सभी दल एकजुटता के फार्मूले पर आते हैं तो यह भाजपा की मुसीबत बढ़ाएगी.
इसमें अगर ‘पांच गारंटी’ का फ़ॉर्मूला जोड़ दिया गया तो नीतीश कुमार इस 62 प्रतिशत वोट बैंक को अपने पाले में लाने में सफल हो सकते हैं. विशेषकर बिहार जैसे राज्य में यह फ़ॉर्मूला काफी कारगर साबित हो सकता है. केंद्र की मोदी सरकार ने भी कोरोना के दौरान 5 किलो अनाज बांटने की योजना को लागू किया था और इसे जमकर प्रचारित किया था. इसका फायदा भाजपा को कई राज्यों के चुनावों में मिला. इसके पहले इसी तरह की योजना तमिलनाडु में देखने को मिली थी. तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने अम्मा केंटीन सहित कई गरीबों के लिए मुफ्त में दी जाने वाली कई योजनाओं की शुरुआत की थी. इसका बड़ा लाभ अन्नाद्रमुक को तमिलनाडु में मिला था. अब उसी तर्ज पर कर्नाटक में कांग्रेस ने पांच गारंटी से लाभ लिया है. यही वजह है कि नीतीश कुमार भी अब इसी फ़ॉर्मूला को बिहार में अपनाएं और विपक्षी दलों को अपने अपने राज्यों में लागू करने का सुझाव दें. अगर यह सफल रहा तो भाजपा की मुसीबत को बढ़ाने में नीतीश बड़े स्तर पर सफल हो सकते हैं.