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पानी पूरी का जन्मदाता है बिहार, यकीन नहीं तो खुद पढ़ लें

पानी पूरी का जन्मदाता है बिहार, यकीन नहीं तो खुद पढ़ लें

N4N Desk: आप चाहे नॉर्थ से हो या साउथ से हमारे कल्चर के बाद अगर कोई चीज़ सबको जोड़कर रखती है तो वो पानी पूरी है, जो इतनी विभिन्नताओं के बाद भी हमें आपस में जोड़े हुए है. किसी भी राज्य में चले जाएं, आपको वहां के फ़ूड मार्केट में पानी पूरी के स्टॉल ज़रूर मिल जाएंगे. राज्य बदलने से नाम तो बदल जाता है लेकिन प्यार उतना ही रहता है.

आटा या सूजी से बनने वाली कुरकुरी पूड़ी और उसके साथ इमली-पुदीने का पानी. आलू के मसाले के साथ ये संपूर्ण हो जाता है, जैसे बस एक दूजे के लिए बने हो. सभी राज्यों ने इसके नाम के अलावा स्वाद को भी अपने हिसाब से ढाला है, ये आपको एक पानी पूरी खाते ही पता चल जाएगा.

ग्रीक इतिहासकार Megasthenes और चीनी बौद्ध यात्री Faxian और Xuanzang की किताबों ने बताया कि पानी पूरी के पूर्वज फुल्की सबसे पहले गंगा के किनारे बसे मगध साम्राज्य में बनाए गए थे. तब और भी अन्य स्थानीय खाद्य पदार्थ तैयार हो रहे थे, मसलन- पिट्ठो, तिलवा, चिवड़ा आदी. जिस जगह की बात हो रही है, आज उसे बिहार कहा जाता है.

पानी पूरी की एक कहानी महाभारत से भी जुड़ी है. द्रौपदी जब पहली बार घर आई थी, तो कुंती ने परीक्षा लेने के लिए उसे एक पकवान बनाने को कहा. सामग्री के तौर पर बचे हुए आलू की सब्ज़ी और आटा इतना जिससे एक पूरी बनाई जा सके. कुंती ने ये भी कह रखा था कि खाना ऐसा हो, जिसे खा कर उसके पांचों बेटों का मन संतु्ष्ट हो जाए. द्रौपदी ने पानी पूरी बनाया. पानी पूरी से खु़श हो कर कुंती ने उसे अमरता का वरदान दिया.


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