देश मेंउपभोक्ता खर्च 4 दशक से ज्यादा की अवधि के निम्नतम स्तर पर आ गया। एक सरकारी सर्वे के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2017-18 में उपभोक्ता खर्च में आश्चर्यजनक गिरावट आई है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से 'प्रमुख सूचकांक: भारत में घरेलू उपभोक्ता खर्च' नाम से किए गए सर्वे के मुताबिक, 2017-18 में देशवासियों का व्यक्तिगत औसत मासिक खर्च घटकर 1,446 रुपये पर पहुंच गया जो 2011-12 में 1,501 रुपये था। यह 3.7% की गिरावट है।
बताया जा रहा है कि यह सर्वे जुलाई 2017 और जून 2018 के बीच किया गया है। इसमें पाया गया कि पिछले छह साल में देश के ग्रामीण हिस्सों में व्यक्तिगत खर्च में 8.8% की औसत गिरावट आई जबकि शहरी क्षेत्रों में 2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
सर्वे से पता चला कि गांव के लोगों ने दूध और दूध से बनने वाले उत्पादों को छोड़कर सारे सामानों की खरीद में कटौती की। बड़ी बात यह है कि देशभर के लोगों ने तेल, नमक, चीनी और मसाले जैसी जरूरी वस्तुओं पर खर्च में बड़ी कमी की। गैर-खाद्य वस्तुओं पर खर्च के आंकड़े मिलेजुले आए हैं। ग्रामीण भारत में गैर-खाद्य वस्तुओं की खपत 7.6% कम हुई जबकि शहरी इलाकों में 3.8% की वृद्धि देखी गई।
सर्वे के मुताबिक ग्रामीण भारत में 2017-18 में भोजन पर मासिक खर्च औसतन 580 रुपये हुआ था जो 2011-12 में 643 रुपये के मुकाबले 10 प्रतिशत कम है। वहीं, शहरी क्षेत्र में इस मद में मामूली बढ़त देखी गई। यहां 2011-12 में लोगों ने 946 रुपये प्रति माह का औसत खर्च किया था जो 2017-18 में महज 3 रुपये बढ़कर 946 रुपये हुआ।