Ranchi : कोरोना का कहर न आम देख रहा न खास। कब किस पर कहर बनकर टूट जाये कहना मुश्किल। बिहार के पूर्व मंत्री के दामाद को जब सांस लेने में हुई तकलीफ हुई तो परिवार वाले आनन-फानन में एम्बुलेंस बुलाकर अस्पताल की तरफ भागे। लेकिन वहां सरकारी अस्पताल में बेड तक मुहैया नहीं कराया गया। फिर निजी अस्पतालों के चक्कर लगाने के बाद भी बेड मुहैया नहीं करवाया गया। अंततः पूर्व मंत्री के दामाद ने एम्बुलेंस में हीं दम तोड़ दिया।
एम्बुलेंस में ही तोड़ा दम
गौरतलब है कि मृत आलोक रंजन बिहार के पूर्व मंत्री आबो देवी के दामाद थे। बता दें कि आबो देवी अविभाजित बिहार सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री रह चुकी हैं। फिलहाल आजसू से जुड़ी हैं। उनके दामाद 35 वर्षीय आलोक रंजन सिंदरी के निवासी थे। आलोक रंजन की तबीयत खराब होने के बाद सांस लेने में तकलीफ होने लगी। परिवार वाले अस्पताल दर अस्पताल आलोक को भर्ती करवाने के लिए भटकते रहे। लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी अस्पताल में बेड नहीं मिला और आलोक रंजन ने एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया।
डीडीसी के आश्वासन के बाद भी नहीं मिला बेड
आजसू नेता व पूर्व मंत्री आबो देवी के पुत्र अवधेश कुमार यादव ने बताया कि उनके बहनोई को सांस लेने में तकलीफ थी ।हमलोग इलाज के लिए पहले एसएनएमसीएच ले गए जहां कहा गया कि यहां बेड उपलब्ध नहीं है ।इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कहा गया कि राज क्लीनिक ले जाइए वहां भी बेड उपलब्ध नहीं था। इसी तरह एशियन जालान अस्पताल व अशर्फी अस्पताल में ले जाने के बाद भी बेड मुहैया नहीं कराया गया । अवधेश यादव ने कहा कि धनबाद के डीसी से भी बात की गई उसके बावजूद किसी अस्पताल में जगह नहीं मिली ।अंततः हमारे बहनोई ने एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया।
पांच साल पहले हुई थी शादी
बता दें कि पूर्व मंत्री आबो देवी की दूसरी पुत्री आरती व आलोक की शादी 5 साल पहले हुई थी। आलोक बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर बतौर इंजीनियर काम करते थे। होली के बाद वे बेंगलुरु नहीं लौटे थे। इसी बीच उनकी तबियत खराब हुई और उनकी जान चली गयी