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कोरोना ने सबकुछ बदल दिया : अब अपनी जड़ों की तरफ लौटना चाहते हैं लोग, परदेसियों को सता रही अपनों से दूरी

कोरोना ने सबकुछ बदल दिया : अब अपनी जड़ों की तरफ लौटना चाहते हैं लोग, परदेसियों को सता रही अपनों से दूरी

NEWS4NATION DESK : कोरोना ने पूरी दुनिया में उथल-पुथल मचा कर रख दी है। जहां इसके कहर से पूरी दुनिया में लोग काल के गाल में समा रहे है। वहीं इसने लोगों को अपने ही घरों में कैद कर दिया है। 

इस वायरस के खौफ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पहले जहां लोग रोजी-रोटी की तलाश में अपना घर-परिवार छोड़कर दूसरे परदेशों और विदेश जाने की होड़ में लग रहते थे। वहीं लोग अब अपनो के बीच रहना चाहते है। 

दूसरे राज्यों और विदेशों में लॉकडाउन के कारण फंसे लोग अब इस बात की कसम खा रहे है कि किसी तरह से एकबार अपनों के बीच पहुंच जाए। उसके बाद अपने घर में ही रोजी-रोटी की व्यवस्था कर लेंगे। 

एक ऐसी ही खबर खाड़ी देश से सामने आई है, जहां बैठे हुए भारतीय लॉकडाउन खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।  इन लोगों का कहना है कि उन्हें वहां कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन महामारी और अनिश्चितता के इस दौर में वो 'अपनों का साथ' और 'अपनों के पास' रहना चाहते हैं। ये लोग खाड़ी के कतर, मस्कट, कुवैत, सऊदी अरब, दुबई या शारजाह में रहते हैं.

ट्वीट में भी हुआ है भारतीयों का जिक्र
 गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में अरब के प्रभावशाली लोगों ने लॉकडाउन के दौरान की स्थिति को लेकर काफी ट्वीट किए हैं। इनमें भारतीयों का भी जिक्र किया गया है। दुबई की राजकुमारी प्रिसेंज हेंद-अल-कासिमी ने ट्वीट कर बताया कि उनके देश में लाखों भारतीय रहते हैं और ये उनकी आबादी का 27 प्रतिशत है।

अपनी जड़ों की तरफ लौटना चाहते हैं

खाड़ी देशों में रह रहे हजारों लोग पिछले दिनों अपने घरों पर लौटने के लिए टिकट बुक करवा ही रहे थे कि अचानक लॉकडाउन लग गया। जिसकी वजह से उन्हें वहां रुकना पड़ा। अभी रमजान शुरु हो चुका है और खाड़ी देशों में फंसे हजारों भारतीय बस एक ही  दुआ कर रहे हैं कि जल्दी से कोरोना महामारी का अंत हो ताकि वो अपनी जड़ों की तरफ लौट सकें।

रोजी-रोटी कमाने के लिए खाड़ी देशों में गए भारतीय नौजवानों का कहना है कि दुबई और सऊदिया अरेबिया में भी लॉकडाउन में सब बंद है और सिर्फ ज़रूरत का सामान ही उपलब्ध है। ये ईद पर घर आना चाहते हैं, लेकिन लॉकडाउन के चलते नहीं आ पा रहे। वे चाहते हैं कि जल्द से जल्द अपने गांव वापस लौटे। उनके अनुसार वहां भी सिर्फ वे ही लोग काम पर जा रहे हैं जो ज़रूरी सेवाओं से जुड़े हुए हैं।
 
 परिवार का अपना है महत्व
 खाड़ी में बैठे इन नौजवानों का कहना है कि वहां कि सरकारें उनके साथ पूरी तरह सहयोग कर रही हैं और मॉस्क तथा गलब्स लेकर खाने-पीने का सामान तक डोर-टू-डोर पहुंचा रही है। इतना ही नहीं जिनकी आमदनी रूक गई है उन्हे चिन्हित कर आर्थिक सहायता भी दी जा रही है। 

लेकिन इन सबकुछ के बावजूद अब अपनों की दूरी इन्हें सताने लगी है। इनका कहना है कि  अपनों से दूर चाहे कितनी भी सुविधा मिले, लेकिन परिवार का अपना महत्व है। वो ऐसे समय में अपनों के पास रहना चाहते हैं जबकि भविष्य के बारे में कुछ भी कहा नहीं जा सकता हो।

इनका कहना है कि महामारी के इस दौरे में वे चाहते हैं चाहे जैसे भी रहें, लेकिन अपनों के पास रहें। ये लोग दुआ कर रहे हैं कि जल्द इस संकट से मुक्ति मिले और ये अपनों के पास आ जाएं।

 

 

 

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