पटना... काेरोना के कारण शहर के सभी स्कूल करीब 8 माह से बंद हैं, ऐसे में ज्यादातर स्कूलों ने ऑनलाइन क्लास के माध्यम से बच्चों कोपढ़ाने का विकल्प तलाश लिया है, मगर शहर में छोटे बच्चों को पढ़ाने और उन्हें स्कूल में बैठने की आदत दिलाने वाले प्ले स्कूलों के सामने ऑनलाइन क्लास का भी विकल्प नहीं है। नीतजतन,महीनों आर्थिक संकट से जूझने के कारण शहर में 200 से ज्यादा प्ले स्कूल बंद हो चुके हैं और कई बंद होने की कगार पर पहुंच चुके हैं। शहर के विभिन्न इलाको में इस तरह के कारीब एक हजार से ज्यादा प्ले स्कूल चलते हैं। इनमें ज्यादातर किराए के मकान में ही चल रहे हैं। कोरोना की मार ऐसी पड़ी कि संचालकों की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई। स्कूल भवन का किराया, बिजली बिल, स्टाफ की सैलरी व रोड टैक्स नहीं दे सके। स्कूल बंद करने की नौबत आ गई।
करीब एक हजार से अधिक प्ले स्कूल
शुरुआत में कुछ स्कूलों में ऑनलाइन क्लाश शुरू किया गया, मर इन प्ले स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की उम्र कम होने की वजह से यह व्यवस्था कारगर साबित नहीं हो सकी। कुछ स्कूल संचालकों ने कहा कि बड़े स्कूल तो किसी तरह चल रहे हैं, मगर हमारे जैसे छोटे प्ले स्कूल चलाने वालों को स्कूल ही बंद करना पड़ गया। उन्होंने बताया कि काेरोना काल में छोटे बच्चों के ऑनलाइन क्लास भी नहीं चले, जिससे किसी भी अभिभावक ने उन्हें फीस नहीं दी। इसके अलावा स्कल भवन का किराया और स्टॉफ की सैलरी देने का बोझ अलग से पड़ गया।
कर्ज लेकर खोला था स्कूल
जगनपुरा स्थित एक प्ले स्कूल के संचालक ने बताया कि इसी साल बैंक से लोन व कुछ लोगों से कर्ज लेकर स्कूल खोला था। कोरोना के कारण स्कूल बंद होने की वजह से स्कूल का किराया और स्टाफ की सैलरी नहीं दे पाने की स्थिति में सकूल को बंद करना पड़ा। यह परेशानी केवल एक ही नहीं बल्कि शहर के विभिन्न इलाकों में प्ले स्कूल चल रहे संचालकों की भी है। किराए के मकान में चल रहे कई 200 से ज्यादा प्ले स्कूल तो अभी बंद हो गए हैं और अन्य स्कूल बंद होने की कगार पर हैं।
ये है कुछ आंकड़ें
200 से ज्यादा प्ले स्कूल चल रहे थे किराए के मकान में, जो हो चुके हैं बंद
800 से अधिकप्ले स्कूल शहर मेंहोते हैं संचालित
15 से 20 स्टाफ काम करते हैं एक प्ले स्कूल में
1.5 से 2 लाख रुपए स्टॉफ की सैलरी पर करने पड़ते हैं खर्च
20 से 25 हजार रुपए हर माह आता था स्कल का बिजली बिल