News4nation desk : कोरोना संकट से मानव जीवन जहां खतरे में है। वहीं पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई है। इधर देश में 21 दिनों के लॉक डाउन का अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर देखने को मिलने लगा है।
हजारों लोगों की नौकरियां या तो चली गई हैं या फिर जाने के कगार पर है। वहीं दिहाड़ी मजदूर पूरी तरह से बेकार हो गए है। इतना ही नहीं देश में करोड़ों-अरबों रुपये के प्रोजेक्ट पर ताल पड़ गया है।
लॉक डाउन का बड़ा असर झारखंड में देखने को मिल रहा है। रांची सहित राज्यभर में फिलहाल करीब 10 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट पर ताला लग गया है। इसके अलावा निजी डेवलपर्स के करोड़ों के प्रोजेक्ट के बंद होने से निर्माण क्षेत्र से जुड़ा व्यवसाय और लाखों कामगारों के रोजी-रोटी पर संकट आ गया है।
रांची के एक जाने माने ऑर्किटेक्ट की मानें तो निजी क्षेत्र के कंस्ट्रक्शन व्यवसायी तो एक से दो माह में रिकवर कर लेंगे, लेकिन सरकार द्वारा संचालित प्रोजेक्ट में कुछ समय लगेगा, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से सरकार को काफी कम टैक्स मिलेगा। कांट्रैक्टर को पैसा नहीं मिलेगा तो काम भी रुका रहेगा। एक माह बाद मानसून आ जाएगा, ऐसे में 90 फीसदी प्रोजेक्ट का काम बंद हो जाता है।
कंस्ट्रक्शन क्षेत्र छह माह बाद ही आ पाएगा अपनी लय में
वहीं पथ निर्माण विभाग के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर का कहना है कि कम से कम छह माह बाद ही कंस्ट्रक्शन क्षेत्र लय में आएगा। इस वजह से सभी प्रोजेक्ट छह माह से एक वर्ष देरी से पूरे होंगे। अधिकतर प्रोजेक्ट का कॉस्ट रिवाइज्ड होगा। इससे लागत भी बढ़ेगी। निर्माण क्षेत्र से जुड़े लोगों को लंबे समय तक इसका असर झेलना होगा।