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देश का सबसे बड़ा व्यक्तिगत मुआवजा राशि, रेलवे को देना होगा, रेल अधिकारियों के छूट पसीने

देश का सबसे बड़ा व्यक्तिगत मुआवजा राशि, रेलवे को देना होगा, रेल अधिकारियों के छूट पसीने

DESK : रेलवे लाइन बिछाने के लिए रेलवे द्वारा कई जगहों पर जमीन अधिग्रहण किया जाता है. जिसके लिए मुआवजा भी दिया जाता है। लेकिन यह मुआवजा राशि कुछ लाख तक सीमित होती है। लेकिन, उत्तराखंड में एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां मुआवजे की राशि इतनी है कि रेलवे अधिकारियों के भी पसीने छूटने लगे हैं। रेलवे को सिर्फ एक व्यक्ति को 400 करोड़ रुपए मुआवजे के रूप में देना है। अब अगर रेलवे यह मुआवजा राशि देने को मंजूरी देती है, तो व्यक्तिगत तौर पर यह देश में मुआवजे की संभवत: सबसे बड़ी राशि होगी। 

रेलवे द्वारा मुआवजे का यह मामला उत्तराखंड से जुड़ा हुआ है। यहां ऋषिकेश- कर्णप्रयाग के बीच रेलवे लाइन का निर्माण होना है। 126 किमी लंबे इस रेल लाइन के लिए 2013 में सर्वे किया गया था। तय हुआ कि मलेथा में बड़ा रेलवे स्टेशन बनेगा। इस रेलवे लाइन की जद में अनिल किशोर जोशी नाम के पूर्व कृषि जिला अफसर द्वारा किराये पर ली गई जमीन भी आई। अनिल जोशी ने 34 लोगों की सिंचित जमीन किराए पर ली थी। यहां 7 लाख पौधे शहतूत और 3 लाख अन्य फलदार पौधे लगाए। रिपोर्ट से पता चला कि अनिल जोशी के बागीचे में 7,14,240 शहतूत (मदर प्लांट) और 2,63,980 अन्य फलदार वृक्षों के साथ ही कुछ हजार संतरे और आम के पेड़ हैं। अब यही दस लाख पेड़ रेलवे के लिए बड़ी परेशानी बन गए हैं। 

400 करोड़ मुआवजा 

दरअसल, उस रिटायर्ड अफसर ने खाली पड़ी जमीन पर इतने फलदार पौधे उगा दिए हैं कि रेलवे को अगर नई लाइन बिछाने के लिए उन्हें काटना है तो 400 करोड़ रु. मुआवजा देना होगा। व्यक्तिगत तौर पर यह देश में मुआवजे की संभवत: सबसे बड़ी राशि होगी। 

नियम के अनुसार, एक फलदार पेड़ के मदर प्लांट के मुआवजा 2,196 रु. बनता है। इस हिसाब से उनके बागीचे के पेड़ों का मुआवजा 400 करोड़ रु. तक पहुंच गया। अब मुआवजे में इतनी  बड़ी राशि देना रेलवे के लिए मुश्किल साबित हो रहा है।

शहतूत और संतरा दोनों के लिए एक कीमत

इतना भारी मुआवजा तय होने के बाद प्रशासन ने अनिल जोशी को बुलाकर कहा कि संतरे के पेड़ के लिए तय 2,196 रुपए हैं, शहतूत का फलदार वृक्ष नहीं है। अब चूंकि उनके पेड़ शहतूत के हैं और बहुत ज्यादा हैं, इसलिए प्रत्येक पेड़ के हिसाब से 4.50 रु. भुगतान किया जाएगा। प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ अनिल हाई कोर्ट पहुंचे। हाई कोर्ट ने जब उद्यान विभाग से पूछा कि क्या शहतूत फलदार वृक्ष है तो विभाग ने माना कि शहतूत भी संतरे की ही तरह फलदार वृक्ष है। लिहाजा दोनों का मुआवजा भी एक समान होगा। अब मामला ट्रिब्यूनल में है। ट्रिब्यूनल में अभी जज नियुक्त नहीं हुए हैं, इसलिए मामला लंबित है।


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