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भांग पीने वालों को कोर्ट ने दी खुशखबरी, भांग एक पारंपरिक पेय न कि प्रतिबंधित नशीला पदार्थ

भांग पीने वालों को कोर्ट ने दी खुशखबरी, भांग एक पारंपरिक पेय न कि प्रतिबंधित नशीला पदार्थ

DESK. भांग पीते हैं तो अब डरने की कोई बात नहीं है. भांग पीने वालों को कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए कहा है कि भांग पीना गैरकानूनी नहीं है. ना ही किसी भांग पीने वाले को पुलिस गिरफ्तार कर सकती है. कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि भांग एक पारम्परिक पेय है. कर्नाटक हाईकोर्ट ने भांग रखने के आरोपी एक व्यक्ति को इस फैसले के बाद जमानत दे दी कि भांग एनडीपीएस अधिनियम के तहत कवर नहीं है.

इस प्रकार देखते हुए, न्यायमूर्ति के नटराजन की खंडपीठ ने रोशन कुमार मिश्रा द्वारा दायर एक याचिका को स्वीकार कर लिया और उसे 2 लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के दो जमानतदारों पर जमानत दे दी. उच्च न्यायालय ने मधुकर बनाम महाराष्ट्र राज्य पर भरोसा किया, जिसमें बंबई उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति को यह निर्णय लेने के बाद बरी कर दिया था कि भांग रखने वाले व्यक्ति को एनडीपीएस अधिनियम के तहत कवर नहीं किया जाएगा.

अदालत ने अभियोजन पक्ष के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि चूंकि भांग गांजा के पत्तों से तैयार किया जाता है, इसलिए यह गांजा की परिभाषा के तहत आएगा. अदालत के अनुसार, यह सुझाव देने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि भांग या तो चरस या गांजा से तैयार किया जाता है और चूंकि गांजा के पत्तों और बीजों को गांजा की परिभाषा से बाहर रखा जाता है, इसलिए यह प्रतिबंधित दवा नहीं है. 

अदालत ने यह भी कहा कि भांग एक पारंपरिक पेय है जिसका सेवन उत्तर भारत में शिव मंदिरों और लस्सी की दुकानों में किया जाता है. इसलिए, अदालत ने फैसला सुनाया कि जब तक फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट में यह नहीं कहा जाता है कि भांग गांजा या चरस से तैयार किया जाता है, तब तक अदालत यह निष्कर्ष नहीं निकाल सकती है कि भांग गांजा से तैयार किया जाता है. इस प्रकार देखते हुए, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने तत्काल याचिका की अनुमति दी और मिश्रा को जमानत दे दी.


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