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प्रतिभाशाली और स्तरीय वकील की कमी से जूझ रहे हैं कोर्ट, वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा - यह बेहद चिंता की बात

प्रतिभाशाली और स्तरीय वकील की कमी से जूझ रहे हैं कोर्ट, वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा - यह बेहद चिंता की बात

PATNA : भारत में वकालत एक ऐसा पेशा है, जहां बड़े प्रतिष्ठित और प्रतिभाशाली लोगों ने अपना योगदान दिया है। अंग्रेजी शासन में वकालत के पेशे को बहुत ही सम्मान के नजरिए से देखा जाता था। लगभग सभी स्वतंत्रता सेनानी वकालत से जुड़े थे। आजादी के बाद भी यह स्थिति कई सालों तक बनी रही। लेकिन अब स्थिति बदलने लगी है, अब जो बड़े और प्रतिष्ठित सरकारी और निजी लॉ कालेजों के छात्र है,वे कोर्ट की जगह बड़े कॉर्पोरेट वर्ल्ड में जाना पसंद करते हैं। जिसको लेकर अब अधिवक्ताओं ने भी चिंता जाहिर की है।

व्यवस्था को बताया जिम्मेदार

पटना हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता योगेश चन्द्र वर्मा ने इसके लिए व्यवस्था को जिम्मेवार माना हैं।उन्होंने कहा कि ये एक ऐसा क्षेत्र था,जिसमें बड़े प्रतिभाशाली और लगनशील लोग आते थे।उन्हें इस पेशा में मान,सम्मान,धन और शोहरत मिलता था। धीरे धीरे स्थिति बदलने लगी।जहाँ कानून की शिक्षा स्तर में गिरावट आने लगी, वहीं कोर्ट में भी परिस्थिति बदल गई। उन्होंने कहा कि सरकार ने लॉ कॉलेजों की स्थिति सुधारने के लिए नई व्यवस्था की। सोच यह थी कि इससे बेहतर और अच्छी पढ़ाई के बाद कोर्ट में वकालत के लिए ज्यादा बेहतर वकील मिलेंगे, जिन्हें केस की अच्छी समझ होगी। कई सरकारी कॉलेजों की स्थिति बदली गई। इसके साथ प्राइवेट कॉलेजों में कुछ कॉरपोरेट कंपनियों ने लॉ की पढ़ाई शुरू की। लेकिन सरकार की यह कोशिश फेल हो गई। उन्होंने कहा कि अब जब से नामीगिरामी सरकारी और निजी क्षेत्र के लॉ कालेजों से छात्र निकलते हैं, तो उन्हें अपना भविष्य कॉरपोरेट सेक्टर में ही देखते हैं। आज कोर्ट ने प्रतिभाशाली और स्तरीय वकीलों से वंचित होता जा रहा है। इसके लिए सरकार,कोर्ट,अधिवक्ता संघो व बार कॉउन्सिल को विचार कर इसमें सुधार लाने की जरूरत हैं।

अधिवक्ता यूसी वर्मा ने कहा कि इन छात्रों को कोर्ट में वकालत से जोड़ने के लिए विचार कर नई योजना बनाने की जरुरत है। जरुरत पड़े तो उनके लिए पांच साल तक स्टायपन की व्यवस्था की जाए, ताकि वह शुरुआती प्रैक्टिस करने के दौरान पैसे की समस्या से न जूझना पड़े।

क्या सोचते हैं लॉ स्टूडेंट

वकालत के पेशे को छोड़कर कॉरपोरेट से जुड़ने को लेकर लॉ स्टूडेंट का अपना तर्क है। उनका कहना है कि वकालत में शुरूआत के कई सालों तक कोई बड़ी कमाई नहीं होती है। कई सालों की प्रैक्टिस के बाद स्थिति सुधरती है। जबकि कॉरपोरेट में शुरुआत से ही अच्छी सैलरी मिलती है। जिससे न सिर्फ आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। इन स्टूडेंट का मानना कि वकालत कुछ साल बाद भी किया जा सकता है, उस समय तक इतनी इनकम हो जाएगी कि यह नहीं सोचना होगा कि केस से इनकम नहीं होगी तो घर कैसे चलेगा।


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