नवादा के मिर्जापुर सूर्य मंदिर छठ घाट पर खुरी नदी से शुद्ध जल लेने के लिए छठ व्रतियों और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. श्रद्धालु बालू खोदकर शुद्ध पानी ले जा रहे हैं. इसी पानी से खरना का प्रसाद बनाया जाएगा. जिसको लेकर सुबह से ही श्रद्धालु नदी का शुद्ध जल घर ले जा रहे हैं. इस दौरान श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखा जा रहा था. शनिवार को तमाम छठ व्रतियों ने पूरे दिन उपवास रहकर संध्या में खरना पूजन करके छठ पूजा के दूसरे दिन खरना का प्रसाद बनाने के लिए भी श्रद्धालुओं में उत्साह देखा गया. जिन भी घरों में छठ हो रहा है वहां के युवा, महिलाएं प्रसाद बनाने को लेकर जलाशयों पर पहुंचे. नवादा नगर में सूर्य मंदिर तालाब, शोभिया मंदिर, साहेब कोठी समेत दूसरे जगहों से पवित्र जल लाकर खरना का महाप्रसाद बनाया गया. वही दोपहर में व्रतियों ने पूरी शुद्धता और पवित्रता से इस प्रसाद को तैयार करतीं हैं. प्रसाद के रूप में कहीं खीर, रसिया बनी तो कई जगहों पर अरवा चावल और चना दाल का प्रसाद बना. और फिर संध्या में महिलाओं ने स्नान करने के बाद भगवान का पूजन करेगी इसके बाद सभी तरह के प्रसाद को भगवान को भोग लगाकर व्रतियों ने खरना का प्रसाद ग्रहण करती है. इस दौरान घर की महिलाओं ने छठि मईया के पारंपरिक गीत गाए.
आपको बता दें कि लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा में शुद्धता का पूरा ख्याल रखा जाता है, यही वजह है कि लोग चापाकल और बोरिंग के बजाय नदी तालाब एवं कुआं के जल से प्रसाद बनाते हैं. जिसको लेकर खुरी नदी में पानी ले जाने को लेकर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखी जा रही है. शाम में इसी पानी से बने खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद छठव्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा.
कोरोनाकाल के दो साल बाद मिर्जापुर छठ घाट पर इस तरह का नजारा देखने को मिल रहा है जिसको लेकर श्रद्धालु भी काफी उत्साहित है. रविवार को डूबते सूर्य को अर्ध्य अर्पित कर छठ व्रती सुख समृद्धि की कामना करेंगे. उसके बाद सोमवार की सुबह उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद चार दिवसीय अनुष्ठान छठ पूजा का समापन हो जाएगा.