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दशरथ मांझी पुण्यतिथि विशेष: "जबतक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं... "

दशरथ मांझी पुण्यतिथि विशेष: "जबतक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं... "

GAYA : आज 17 अगस्त "माउंटेन मैन" की पुण्यतिथि है.  मांझी  कौन कहता है कि पत्थर में सुराख नहीं हो सकता, तबियत से एक पत्थर से उछालो यारों.... ऐसी ही कहावत को चरितार्थ किया है बिहार के "माउंटेन मैन" दशरथ मांझी ने. दशरथ मांझी बिहार के गया के गहलौर गांव के एक गरीब मजदूर थे. जिन्होंने 22 वर्षों के मेहनत की बदौलत केवल एक हथौड़ा और छेनी लेकर अकेले ही 360 फुट लंबी 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊँचे पहाड़ को काट कर एक सड़क बना डाली। 


इसके पीछे की कहानी भी बहुत मार्मिक है. दशरथ मांझी जिस गांव से आते थें वहां से पास का गांव जाने में एक पहाड़ पार करना पड़ता था. उस समय गांव में न तो बिजली थी न ही पानी. ऐसे में छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी पास के गांव पहाड़ पार कर जाना पड़ता था. ऐसे में बहुत समय लगता था और जान का खतरा भी लगा रहता था. उस दौरान दशरथ मांझी पास के गांव में मजदूरी करने जाते थें और उनकी पत्नी फागुनी देवी दोपहर में खाना लेकर जाती थीं. एक दिन उनकी पत्नी पहाड़ के दर्रे में गिर गयी और उन्हें चोट लगी. इसके बाद दशरथ मांझी ने पहाड़ों को काट कर रास्ता बनाने का संकल्प लिया. शुरू में तो हर कोई उन्हें पहाड़ तोड़ता देख पागल समझता था पर उन्होंने अपना इरादा बदला और निरंतर प्रयास करते रहें. 22 वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद दशरथ  मांझी ने सड़क बना कर ही दम लिया. 

माउंटेन मैन दशरथ मांझी की पुण्यतिथि के अवसर पर गया जिलाधिकारी श्री अभिषेक सिंह, वरीय पुलिस अधीक्षक श्री राजीव मिश्रा सहित कई पदाधिकारी और गणमान्य व्यक्तियों ने उनके स्मारक स्थल एवं उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि और माल्यार्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी. इस अवसर पर  जिलाधिकारी ने कहा कि दशरथ मांझी महोत्सव का आयोजन शीघ्र ही किया जाएगा। कला, संस्कृति एवं युवा विभाग द्वारा इसके लिए शीघ्र ही तिथि निर्धारित की जाएगी।

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