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बिहार की बेटियों ने पेश की मिसाल, पिता की अर्थी को कन्धा देकर पहुँचाया मुक्तिधाम

बिहार की बेटियों ने पेश की मिसाल, पिता की अर्थी को कन्धा देकर पहुँचाया मुक्तिधाम

AURANGABAD : जिले के देव प्रखंड क्षेत्र में एक ऐसा वाकया देखने को मिला, जिसने साबित कर दिया की लड़का और लड़की में कोई फर्क नहीं होता है। लड़कियों का सामाजिक परंपराओं की बेड़ियों में बंधे रहने की बात अब पुरानी हो गई है। आज की बेटियों ने सामाजिक परम्पराओं की बंदिशों को तोड़ते हुए बेटों को पीछे छोड़ना शुरू कर दिया है। 


इसी तरह की हिम्मत दिखाई है औरंगाबाद जिले के देव के आनंदीबाग निवासी बीना और गुड़िया ने। बीना और गुड़िया ने अपने बुजुर्ग पिता की मौत के बाद न केवल उनकी अर्थी को कंधा दिया, बल्कि शमशान तक पहुंचाते हुए लड़के लड़की की खाई को पाटने का काम किया। यूं कहे की रुंधे गले और बहते आसुओं के बीच पुरुष प्रधान समाज में बेटियों ने एक उदाहरण पेश कर बता दिया कि बेटा बेटी समान होते हैं। इस दौरान मौजूद सभी लोगों की भी आंखें नम थीं। वहीँ मौके पर मौजूद हर शख्स ने बेटियों के हौसले और हिम्मत की सराहना की।

उधर 5 वर्ष के नाती हर्ष कुमार ने श्मशान घाट में अपने नाना को मुखाग्नि दिया। परिजन अमित पाठक, सुभाष पाठक ने बताया की 65 वर्षीय देव बल्लभ पाठक का देहान्त बीमारी के चलते हो गया। लगभग 10 साल पूर्व उनकी पत्नी की देहांत हो गया था। उनकी बड़ी बेटी शादी के बाद दिल्ली में रहती है।

बड़ी के बेटी का इंतजार करते हुए एक दिन उनके शव को रखा गया था। बड़ी बेटी के आने के बाद मंगलवार को अंतिम संस्कार किया गया। वे अपने पीछे अपनी विवाहित पुत्री रिंकी कुमारी, अविवाहित बीना कुमारी और गुड़िया कुमारी को छोड़ गए है। इस दौरान संजय पाठक, सुभाष पाठक, राजेश पाठक, ओम प्रकाश पाठक, मृत्युंजय पाठक, अभिषेक मिश्रा, सीटू सिंह, टिंकू सिंह, छोटू मिश्रा, अंकित पाठक के अलावे दर्जनों लोग मौजूद रहे। अंतिम संस्कार की यह प्रक्रिया देव थाना के समीप मुक्तिधाम में संपन्न हुआ।

औरंगाबाद से दीनानाथ मौआर की रिपोर्ट 

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